छात्रों के एक समूह ने रटगर्स-नेवार्क विश्वविद्यालय (Rutgers-Newark University) को एक याचिका देते हुए विवादित इतिहासकार और प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के (Audrey Truschke) के खिलाफ हिंदू धर्म के अपमान के लिए कड़ी कार्रवाई करने के लिए आग्रह किया, मगर संस्थान ने कार्रवाई करने के बजाय ‘हिंदू विरोधी’ टिप्पणी को ‘अकादमिक स्वतंत्रता’ बताते हुए इसे सही ठहराया। ‘Hindu on Campus’ ग्रुप ने याचिका को ट्विटर पर शेयर किया।
याचिका में सभी हिंदुओं को ‘कामुक और सेक्स के लिए आसक्त’ एवं ‘गाय का पेशाब पीने वालों’ के रूप में प्रदर्शित करने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के ने मुगल राजा औरंगजेब द्वारा हिंदुओं के नरसंहार को नजरअंदाज किया गया है।
मंगलवार (मार्च 9, 2021) को जारी एक बयान में, विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के का समर्थन किया है। इसमें प्रोफेसर को हटाने की माँग की गई है। विवादास्पद इतिहासकार के समर्थन को और अधिक सही ठहराने के लिए, रटगर्स ने छात्रवृत्ति में शामिल ‘अकादमिक स्वतंत्रता’ के महत्व का हवाला दिया।
विश्वविद्यालय ने कहा, “छात्रवृत्ति कभी-कभी विवादास्पद होती है, खास कर तब जब यह इतिहास और धर्म के इंटरफेस पर होती है, लेकिन प्रोफेसर ट्रुस्के के रूप में इस तरह की छात्रवृत्ति को आगे बढ़ाने की स्वतंत्रता, कठोर रूप से अकादमिक उद्यम के केंद्र में है।” हिंदू विरोधी प्रोफेसर पर नकेल कसने के बजाय रटगर्स ने हिंदू समुदाय को सांत्वना देने का विकल्प चुना।
इसमें कहा गया है, “रटगर्स ने न सिर्फ दृढ़ता से हिंदू समुदायों के सभी सदस्यों के कैंपस में पढ़ाई करने की व्यवस्था की है, बल्कि ऐसा माहौल दिया है जिसमें वे न केवल सुरक्षित रहेंगे बल्कि अपनी धार्मिक पहचान को भी समर्थन दे सकते हैं।” विवादित इतिहासकार के हिंदूफोबिक टिप्पणी के लिए निंदा करने की बजाय उसका पूर्ण समर्थन किया।
‘इतिहासकार’ ने जोर दिया, “रटगर्स प्रशासन ने समर्थन का एक बयान जारी किया है। रटगर्स विवादास्पद विषयों सहित अकादमिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है। मेरे द्वारा निर्देशित चिंताओं और खतरों को तत्काल समाप्त करने के लिए मैं अपने विश्वविद्यालय प्रशासन को धन्यवाद देती हूँ।”
ऑड्रे ट्रूस्के ने हिंदू नरसंहार से इनकार किया, रटगर्स ने इसे ‘अकादमिक स्वतंत्रता’ बताया
विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के समूह ने याचिका में बताया कि ऑड्रे ट्रुस्के ने मुगल अत्याचारी औरंगजेब द्वारा किए गए हिंदू नरसंहार को नकारने और उसे कम करके दिखाने की दिखाने की भरपूर कोशिश की। उसने दावा किया था, “इस तरह की संख्या अक्सर अतिरंजित होती है क्योंकि वास्तव में यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि उस समय भारत में कितने लोग मौजूद थे; और उस समय के लोगों ने यह संख्याएँ बताई!”
जबकि सच्चाई यह है कि कई भरोसेमंद सोर्स का अनुमान है कि अकेले औरंगजेब द्वारा कुल 4.6 मिलियन हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। याचिका में जोर दिया गया, एक जिम्मेदार इतिहासकार होने का दावा करने वाली प्रोफेसर ट्रुस्के ने ऐसे भयावह आँकड़ों को व्हाइटवॉश करने का फैसला किया।
अन्य उदाहरणों में, प्रोफेसर ट्रुस्के ने मुगल राजा का यह कहकर बचाव किया कि उसने नष्ट करने की तुलना में अधिक हिंदू मंदिरों की रक्षा की और उसने मुगल राज्य के कुलीन स्तरों पर हिन्दुओं की भागीदारी बढ़ाई।” ऑड्रे ट्रूस्के का हिंदू-विरोधी रुख नया नहीं है। 2018 में, ‘प्रख्यात’ इतिहासकार ने यह दावा किया था कि भगवान राम को ‘अग्निपरीक्षा’ के दौरान देवी सीता ने एक ‘मेसोजिनिस्ट पिग’ कहा था। इस टर्म का प्रयोग अक्सर खुद को बहुत ज़्यादा फेमिनिस्ट घोषित करने वाली वामपंथी सोच की महिलाएँ करती हैं। ऊपर अपने इसी घटिया सोच का माँ सीता पर थोपा गया है।