पस्त अर्थव्यवस्था के कारण कंगाली की ओर बढ़ रहे पाकिस्तान में सेना के बजट में कटौती की गई है। हालाँकि, यह कटौती सेना ने ख़ुद की है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश की ऐसी हालत को देखते हुए सभी मंत्रालयों का बजट कम करना शुरू कर दिया है। सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान में तमाम चुनौतियाँ हैं और आतंकवादियों का लगातार पोषण करने वाले पाकिस्तान के कई इलाकों में अशांति का माहौल है। ऐसे में भी अगर सेना अगले वित्त वर्ष के लिए रक्षा बजट में कटौती के लिए तैयार हो गई है, यह पाकिस्तान की हालत को दिखाता है। सेना के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने लिखा:
“मैं विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद आर्थिक संकट की घड़ी में सेना की ओर से अपने ख़र्चे में कटौती के फ़ैसले का स्वागत करता हूँ। हम इन बचाए गए रुपयों को बलूचिस्तान और क़बायली इलाक़ों में ख़र्च करेंगे।”
I appreciate Pak Mil’s unprecedented voluntary initiative of stringent cuts in their defence expenditures for next FY bec of our critical financial situation, despite multiple security challenges. My govt will spend this money saved on dev of merged tribal areas & Balochistan.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) June 4, 2019
इमरान खान ने बचाए गए रुपयों को बलूचिस्तान में ख़र्च करने की बात कही है। हालाँकि, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस, सैन्य मीडिया विंग, ISPR के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि यह कटौती रक्षा और सुरक्षा की कीमत पर नहीं होगी। यह कटौती सेना के तीनों अंगों द्वारा की जाएगी। पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर लगातार गिरती जा रही है। पिछले वर्ष 5.2% रही आर्थिक वृद्धि दर अब बुरी तरह गिर कर 3.4% पर आ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें गिरावट जारी रहेगी। अगले वर्ष गिर कर इसके 2.7% हो जाने की संभावना है, जो देश के लिए एक भयावह स्थिति होगी।
कहा जा रहा है कि बचाए गए रुपयों को जनजातीय इलाक़ों में ख़र्च की जाएगी। पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने पुलवामा हमले के बाद उपजे भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच कहा था कि पाकिस्तान का रक्षा बजट पहले ही बहुत कम है और इसे घटाने-बढ़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है। देश में स्थिति इतनी ख़राब है कि मार्च में मँहगाई दर बढ़कर 9.41% हो गई, जो नवंबर 2013 के बाद से सबसे अधिक है। पाकिस्तान में पेट्रोल 112.68 रुपए, डीजल 126.82 रुपए और किरोसिन तेल 96.77 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है।
अगर भारत और पाकिस्तान के सैन्य ख़र्च की तुलना करें तो 2018 में जहाँ भारत का सैन्य ख़र्च 66.5 अरब डॉलर रहा था, पाकिस्तान का कुल सैन्य ख़र्च 11.4 अरब डॉलर रहा था। पाकिस्तान में क़र्ज़ और जीडीपी का अनुपात 70% पहुँच गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान में विदेशी निवेश नहीं आ रहा है। मँहगाई दर अगले वित्त वर्ष में 14% तक पहुँचने की उम्मीद है। चुनावी अभियान के दौरान विदेशी मदद को भीख बताते हुए आत्महत्या को बेहतर विकल्प कहने वाले इमरान खान अब हर देश में वित्तीय मदद के लिए गुहार लगाते फिर रहे हैं।
पाकिस्तान ने चीन से उच्च दर पर क़र्ज़ भी लिया हुआ है। इसे भी चुकाने में उसकी हालत ख़ासी पतली होने वाली है। अब देखना यह है कि मंत्रालयों का बजट काट कर और अन्य देशों से मदद माँग-माँग कर कितना रुपया बचा पाते हैं।