आयुर्वेद के संदर्भ में कोरोना वायरस से जुड़ी एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है। भारत और अमेरिका के कई आयुर्वेद विशेषज्ञ और शोधकर्ता कोरोना वायरस से लड़ने के लिए साझा क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इसकी जानकारी अमेरिका के भारतीय दूत तरणजीत सिंह संधू ने दी।
8 जुलाई के दिन भारतीय मूल के कई अमेरिकी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और और चिकित्सकों ने इस मुद्दे पर तरणजीत से वर्चुअल संवाद करके निष्कर्ष निकाला। संधू ने कहा फिलहाल दोनों देशों के वैज्ञानिकों का एक बड़ा समूह कोरोना वायरस से लड़ने के लिए काम शुरू करने वाला है। इसके बाद संधू ने कहा कि तमाम संस्थाओं द्वारा साझा अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सहारे आयुर्वेद का प्रचार भी किया जाएगा।
इतना ही नहीं दोनों देशों के कई आयुर्वेद विशेषज्ञ और शोधकर्ता कोरोना वायरस से लड़ने के लिए साझा क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही हमारे वैज्ञानिक इस मामले पर उपयुक्त जानकारी और संसाधन भी साझा कर रहे हैं। जिससे जल्द से जल्द बेहतर नतीजें हासिल हों। इंडो यूएस साइंस टेक्नोलॉजी फोरम (IUSSTF) ने हमेशा ही विज्ञान, तकनीक और नवप्रवर्तन से जुड़े मुद्दों पर ज़ोर दिया है।
कोरोना वायरस से जुड़ी चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए IUSSTF ने साझा शोध कार्यक्रम और स्टार्ट अप से जुड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा देने का निवेदन किया था। जिसके बाद इस मुद्दे पर बड़ी संख्या में प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनका फिलहाल दोनों देशों के विशेषज्ञ अवलोकन कर रहे हैं। इसके अलावा संधू ने कहा भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी किफ़ायती दाम की दवाएँ और वैक्सीन (टीका) उपलब्ध कराने के मामले में वैश्विक स्तर पर अगुवाई करती हैं। ऐसे में कोरोना वायरस जैसी महामारी से जारी इस लड़ाई में इनकी भूमिका अहम साबित होगी।
इस योजना को सफल बनाने के लिए अमेरिका की संस्थाओं और भारत की फार्मा कंपनीज ने 3 चरण का कार्यक्रम तय किया है। इससे केवल भारत या अमेरिका का ही नहीं बल्कि दुनिया के करोड़ों लोगों का फ़ायदा होगा जो इस महामारी का सामना कर रहे हैं। संधू ने यह भी कहा कि इस अनुसंधान के तहत हासिल होने वाले नतीजों से महामारी का सामना करने में काफी मदद मिलेगी। इसके ज़रिए टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ समेत कई डिजिटल प्लैटफॉर्म्स में भी बड़े पैमाने पर बदलाव होगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में दो देशों की तरफ से उठाए गए इतने बड़े कदम का सबसे पहला उद्देश्य यही है कि बीमारी को बुनियादी और क्लिनिकल स्तर पर समझा जाए। एक दिग्गज कूटनीतिज्ञ के मुताबिक़ भारत में एनआईएच के खर्च पर ऐसे 200 कार्यक्रम चल रहे हैं जो स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े सुधार लेकर आएँगे। इस योजना में एनआईएच से संबंधित 20 संस्थान भी शामिल हैं।
वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम के तहत ROTAVAC वैक्सीन तैयार की गई थी, जो रोटा वायरस को ख़त्म करने में मदद करता है। जिस वायरस की वजह से डायरिया जैसी गंभीर बीमारी होती है। वैक्सीन को तैयार करने वाला समूह भारतीय ही था, ‘भारत बायोटेक’। भारतीय कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस वैक्सीन का दाम भी बहुत कम था। वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम के तहत टीबी, इन्फ़्लुएन्ज़ा और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की भी वैक्सीन तैयार की गई है।
इसके बाद संघू ने कहा वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम की इस बैठक में दोनों देशों के जानकार शामिल हुए हैं। वह जल्द ही कोरोना वायरस पर भी अच्छे नतीजे हासिल कर लेंगे। अमेरिका और भारत के वैज्ञानिकों-जानकारों के बीच हुई इस बैठक में शामिल हुए लोग अलग मुद्दों के भी जानकार थे। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम इन्फोर्मेशन साइंस, बायो मेडिकल इंजीनियरिंग, रोबोटिक, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, पृथ्वी और समुद्र विज्ञान, भौतिक विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान और स्वास्थ्य विज्ञान।