आतंकी संगठन आईएसआईएस के सहानुभूति रखने वाले कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों ने शुक्रवार (मार्च 6, 2020) को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भारतीय दूतावास के बाहर और मेदां में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। दूतावास के बाहर 2,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हुई थी, जिन्होंने कथित तौर पर भारतीय राष्ट्रीय झंडे जलाए थे। इनमें से कई प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के बाहर आईएसआईएस के झंडे भी लहराए।
बता दें कि यह विरोध प्रदर्शन दिल्ली में पिछले दिनों एंटी सीएए की आड़ में हुए हिंदू विरोधी हिंदू दंगों के खिलाफ था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ ही भारतीय मीडिया ने इस हिंदू विरोधी दंगे को ऐसे दिखाने की कोशिश की कि यह मुस्लिमों के खिलाफ प्रायोजित हिंसा थी और अब आईएसआईएस समर्थक भी इसी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
इस हरकत को फतवा गार्ड्स नेशनल मूवमेंट, इस्लामिक डिफेंडर्स फ्रंट और 212 एलुमनी ब्रदरहुड के एक समूह द्वारा अंजाम दिया गया था। कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों ने इंडोनेशिया में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत से मिलने की धमकी दी। हालाँकि भारतीय राजदूत ने कट्टरपंथियों द्वारा झंडे को जलाने की निंदा की और फिर मिलने से मना कर दिया। रावत ने इस संबंध में कहा, “इस चरमपंथी समूह के विचारों से डर फैलता है जिससे लोग डरते हैं और घबराते हैं। अगर हम डरते हैं और घबराते हैं, तो वे जीत जाते हैं। हम इस धमकी का जवाब नहीं देंगे।”
कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने विरोध के नाम पर एक भारतीय मूल के व्यवसायी को धमकी भी दी। कट्टरपंथियों को लामबंद करने में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी की भूमिका संदिग्ध है। अधिकारियों का कहना है कि इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने तेजी से कार्रवाई की और भारतीय दूतावास को समर्थन दिया। विरोध के दौरान ISIS के बैनर भी लहराए गए थे।