जर्मनी की एक अदालत ने 5 वर्षीय यज़ीदी बच्ची की मौत के मामले में इस्लामिक स्टेट समूह (ISIS) के आतंकवादी को मंगलवार (30 नवंबर 2021) को नरसंहार और मानवाधिकारों के उल्लंघन अपराध का दोषी करार दिया। इस शख्स पर आरोप था कि इसने 5 साल की बच्ची को गुलाम के तौर पर खरीदा था और सजा के रूप में उसे कड़ी धूप में जंजीरों से बाँध दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। 29 वर्षीय ताहा अल-जुमैली को सीरिया और इराक में 3,000 से अधिक यज़ीदियों (Yazidis) की हत्या और 7,000 महिलाओं और लड़कियों को गुलाम बनाने के लिए नरसंहार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था।
Today, ISIS member Taha AJ was convicted of genocide and sentenced to life in prison. This is the first genocide verdict against an ISIS member. This verdict is a win for survivors of genocide, survivors of sexual violence, & the Yazidi community. https://t.co/xnUYfBZshq pic.twitter.com/Os8OZcZcge
— Nadia Murad (@NadiaMuradBasee) November 30, 2021
जर्मनी में फ्रैंकफर्ट की स्थानीय अदालत ने इराकी नागरिक ताहा अल-जुमैली को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद वह कोर्ट रूम में ही गिर गया। जर्मन प्रोसिक्यूटर ने अदालत से कहा कि अल-जुमैली और उसकी जर्मन पत्नी जेनिफर वेनिश ने 2015 में सीरिया में आईएस के एक शिविर से एक यजीदी महिला और उसकी पाँच साल की बेटी को गुलाम के रूप में खरीदा था। दोनों को आतंकवादी संगठन ने 2014 के अगस्त में उत्तरी इराक से पकड़ा था, जिसके बाद से माँ-बेटी को बार-बार खरीदा-बेचा गया। अल-जुमैली माँ-बेटी को अपने साथ इराक के फलुजा शहर में अपने घर ले गया और उन्हें मकान की देखभाल करने और कठोर इस्लामिक कानून का पालन करने के लिए मजबूर किया।
इस दौरान वह माँ-बेटी को भर पेट भोजन भी नहीं देता था और सजा के तौर पर उनको मारता पीटता था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि 2015 के अंत में अल-जुमैली ने बच्ची को रात में बिस्तर गीला करने के कारण बेहद कठोर सजा दी। उसने बच्ची को 50 डिग्री सेल्सियस ((122 Fahrenheit) की तेज धूप में खिड़की से लोहे की जंजीरों से बाँध दिया, जिसके चलते बच्ची की मौत हो गई। वहीं, तमाम प्रताड़ना झेलने के बाद बच्ची की माँ सुरक्षित बच गई। केवल अपने पहले नाम नोरा से पहचानी गई बच्ची की माँ ने म्यूनिख और फ्रैंकफर्ट दोनों कोर्ट में अपनी बेटी के लिए गवाही दी है।
बता दें कि यज़ीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों का आईएस द्वारा सुनियोजित रूप से दमन किए जाने में भूमिका के लिए पूरी दुनिया में किसी को दोषी करार दिए जाने की यह पहली घटना है। हालाँकि, बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ आरोपों से इनकार किया था। दोषी की जर्मन पत्नी को भी इसी मामले में पिछले महीने 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।