जेएनयू में हिंसा करने वाले वामपंथियों को सिर्फ़ दीपिका पादुकोण और स्वरा भास्कर जैसी अभिनेत्रियों से ही समर्थन नहीं मिल रहा है। पाकिस्तानी भी खुल कर इनके समर्थन में आगे आ रहे हैं। पाकिस्तान में रैली का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार (जनवरी 8, 2020) को लाहौर के छात्रों और शिक्षकों ने जेएनयू के समर्थन में रैली निकाली। इसके अलावा पाकिस्तान के मंत्री ने भी इनके समर्थन में सोशल मीडिया में अभियान चलाया। लाहौर में आयोजित रैली की थीम शायर फैज अहमद फैज की नज्म ‘लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ रखा गया।
फैज़ को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब आईआईटी कानपुर ने एक जॉंच कमेटी बनाई। कमिटी इस बात की जाँच कर रही है कि जिस दिन फैज का नज्म IIT कैंपस में गाया गया, उस दौरान विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन किया गया या नहीं। छात्रों द्वारा विरोध-प्रदर्शन में उनका नज़्म गए जाने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया था कि क्या ये हिन्दुओं के प्रति घृणा फैलाता है? इसके बाद वामपंथी गैंग फैज़ को भारत भक्त साबित करने में जुट गया था और ‘कला का कोई मजहब नहीं होता’ वाला पुराना और घिसा-पिटा तर्क देने लगा था। अब पाकिस्तान में भी फैज़ और जेएनयू के समर्थन में रैली निकल रही है।
इसी क्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री मीडिया को सम्बोधित तो कर रहे थे ईरान और अमेरिका के मुद्दे पर, लेकिन उनके दिलोंदिमाग में भारत का विरोध ही छाया रहा। तभी तो ईरान पर बोलते-बोलते उन्होंने भारत सरकार पर ‘जेएनयू में हिंसा करने’ का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों और प्रोफेसरों की पिटाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले से पता चलता है कि भारत में असहिष्णुता तेज़ी से बढ़ रही है। पाक मंत्री ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरएसएस के साथ मिल कर छात्रों को पीटा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत के सभी विश्वविद्यालय में आरएसएस के लोग ऐसा ही कर रहे हैं। जेएनयू को पाकिस्तान की सत्ता और वहाँ के लोगों से भी भरपूर प्यार मिल रहा है। भारत का वामपंथी गैंग तो पहले से ही उनके समर्थन में खड़ा है।
Chilling attack on students & teachers at #JNU yesterday is yet another reminder of growing intolerance in India. Campuses in India now face unchecked wrath of RSS mobs while the police collude with their insanity. This is what happens when you empower fascist ideology.
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) January 6, 2020
जेएनयू में हुई हिंसा में वामपंथी गुंडों का हाथ सामने आ रहा है और कई वीडियो भी इस बात की पुष्टि करते हैं। फिर भी मामला भटकाने के लिए वामपंथी ही ख़ुद को पीड़ित बता कर एबीवीपी, सरकार और पुलिस पर इल्जाम लगाने में जुटे हैं।