Sunday, November 17, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयख़ुफ़िया चेतावनी के बावजूद ओबामा ने जिसे जेल से छोड़ दिया, उसने ही लिख...

ख़ुफ़िया चेतावनी के बावजूद ओबामा ने जिसे जेल से छोड़ दिया, उसने ही लिख दी काबुल में तालिबानी शासन की पटकथा

अब पता चला है कि खैरुल्लाह खैरख्वाह सहित इन पाँचों सरगनाओं ने वहीं से तालिबान से संपर्क किया और फिर 20 साल से अफगानिस्तान में जमी अमेरिकी सेना को वहाँ से हटाने के लिए रणनीति तैयार की।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पीछे जिन बड़े सरगनाओं का नाम सामने आ रहा है, उसमें खैरुल्लाह खैरख्वाह भी शामिल है। ये वही व्यक्ति है, जिसे बराक ओबामा के कार्यकाल में ग्वांतानामो वे जेल से छोड़ा गया था। 2014 में ओबामा प्रशासन द्वारा छोड़े गए तालिबानी कैदी ने अब काबुल में तालिबान की सत्ता की पूरे रूपरेखा तय की और इसकी रणनीति तैयार की है। उसके साथ-साथ कई अन्य आतंकी भी छोड़े गए थे।

इनमें से एक मोहम्मद नबी है, जो कलात में तालिबान का ‘सिक्योरिटी चीफ’ हुआ करता था। एक अन्य का नाम मोहम्मद फ़ज़ल था। ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ संस्था के अनुसार, 2000-2001 में अफगानिस्तान में जो शिया मुस्लिमों का नरसंहार हुआ था, उसके पीछे इसकी ही भूमिका थी। एक अन्य का नाम अबुल हक़ वासिक था, जो ‘इंटेलिजेंस’ में तालिबान का डिप्टी मिनिस्टर था। मुल्ला नरुल्लाह नोरी इसमें अगला नाम था।

वो 2001 में मजार-ए-शरीफ में तालिबान का ‘सीनियर कमांडर’ हुआ करता था। इन्हें उस समय ‘Gitmo Five’ कहा गया था। अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना था कि ये ‘हार्डकोर में भी सबसे बड़े सरगना’ हैं। हालाँकि, ओबामा प्रशासन ने ख़ुफ़िया सूचनाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया और दावा किया कि इन्हें क़तर में रखा जाएगा। ऐसा इसीलिए, ताकि ये अफगानिस्तान की सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं ले सकें।

अब पता चला है कि खैरुल्लाह खैरख्वाह सहित इन पाँचों सरगनाओं ने वहीं से तालिबान से संपर्क किया और फिर 20 साल से अफगानिस्तान में जमी अमेरिकी सेना को वहाँ से हटाने के लिए रणनीति तैयार की। खैरुल्लाह खैरख्वाह ने खासकर तालिबान की ‘शांति वार्ताओं’ और काबुल में सत्ता के गठन में बड़ी भूमिका निभाई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के प्रतिनिधि के साथ दोहा में जो तालिबान की वार्ता हुई, उसमें खैरुल्लाह खैरख्वाह भी मौजूद था।

साथ ही मॉस्को में हुई वार्ताओं में भी तालिबान की तरफ से वो उपस्थित था। अब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि खैरुल्लाह खैरख्वाह को अन्य सरगनाओं के साथ वापस अफगानिस्तान लाया जा सकता है। साथ ही सरकार में भी किसी बड़े पद पर उसे बिठाया जा सकता है। तालिबान को ऐसे नेताओं की ज़रूरत है, जो विदेश में उसकी छवि को चमका सकें और उसकी अलग इमेज पेश कर सकें।

उधर अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने कहा है कि अमेरिका अपने लक्ष्य में कामयाब रहा और अलकायदा को एकदम सीमित कर दिया गया। उन्होंने याद किया कि कैसे ओसामा बिन लादेन के लिए अमेरिका ने तलाश जारी रखी और अंत में उसे मार गिराया। उन्होंने कहा कि अमेरिका का अफगानिस्तान मिशन कभी वहाँ एकीकृत व केंद्रीयकृत लोकतंत्र की स्थापना या फिर राष्ट्र निर्माण के लिए नहीं था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -