Sunday, November 24, 2024
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ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में पस्त हुआ खालिस्तानी प्रोपेगेंडा: रेफरेंडम के दिन मुश्किल से 100 लोग आए, नेटीजन्स बोले- इनका तो पासपोर्ट ही कैंसिल कर दो

जहाँ रेफरेंडम 2020 के लिए वोटिंग का स्थान निर्धारित किया गया था। वहाँ चंद लोग खालिस्तान का झंडा लेकर खड़े नजर आए। द ऑस्ट्रेलिया टुडे के रिपोर्टर के अनुसार, वहाँ 100 लोग भी मुश्किल से इकट्ठा हुए हैं जबकि इस दिन के लिए हल्ला बहुत मचाया गया था।

भारत में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल की गिरफ्तारी के लिए जारी धड़-पकड़ के बीच ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में आज 19 मार्च को ‘रेफरेंडम-2020’ (सिखों का अलग देश बनाने के लिए वोटिंग) की तारीख सुनिश्चित हुई थी। इसका सोशल मीडिया पर जोरो-शोरों से प्रचार भी हुआ था। हालाँकि जब वोट का दिन आया तो हाल कुछ और दिखे। सामने आई तस्वीरों में सेंटर के बाहर नजर आ रहे चंद सिखों के साथ ये खालिस्तानी प्रोपेगेंडा पूरी तरह फेल होता नजर आया।

ऑस्ट्रेलिया टुडे की रिपोर्ट में देख सकते हैं कि जहाँ रेफरेंडम का स्थान निर्धारित किया गया था। वहाँ चंद लोग खालिस्तान का झंडा लेकर खड़े नजर आए। रिपोर्टर के अनुसार, वहाँ 100 लोग भी मुश्किल से इकट्ठा हुए हैं। बाहर खालिस्तान रेफरेंडम ऑस्ट्रेलिया का पोस्टर लगा हुआ है और कुछ लोग खालिस्तानी झंडा लेकर खड़े हैं। इसके अलावा आसपास कुछ नहीं है।

ऑस्ट्रेलियन हिंदू मीडिया द्वारा जारी तस्वीरों में भी दिख रहा है कि कैसे जिस खालिस्तान रेफरेंडम का इतना हल्ला किया गया था वो चंद लोगों के साथ सिमट गया है।

ऐसी तस्वीरें देखने के बाद नेटीजन्स में संतुष्टि दिखाई दे रही है। वो कमेंट कर करके उन सिखों को धन्यवाद दे रहे हैं जिनके कारण ये खालिस्तानी प्रोपेगेंडा फेल हुआ। ये भी कहा जा रहा है कि मेलबर्न में 10000 के करीब सिख थे, लेकिन इस रेफरेंडम में चंद लोग हैं।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ये कह रहे हैं कि इस रेफरेंडम में शामिल लोगों का भारतीय पासपोर्ट सरकार को रद्द कर देना चाहिए और उन्हें वापस दोबारा भारत में नहीं आना देना चाहिए।

खालिस्तानी प्रोपेगेंडा है- रेफरेंडम 2020

बता दें कि खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने एक अलग देश खालिस्तान के लिए दुनिया के तमाम सिखों में रेफरेंडम 2020 नाम से वोटिंग शुरू करवाई थी। इससे पहले 29 जनवरी 2023 को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भी वोटिंग हुई थी। तब कई खालिस्तानी समर्थकों ने बल्ले और धारदार हथियारों से वार किया था। इतना ही नहीं ब्रिस्बेन में भी पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जाता है। कई भारत विरोधी नारे और मोदी विरोधी नारे दीवारों पर लिखे जाने की घटना सामने आती रहती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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