Friday, March 29, 2024
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ऑस्ट्रेलिया में TikTok पर खालिस्तानी वीडियोज की भरमार, रेफरेंडम पर चल रहा है प्रोपेगंडा: SFJ एजेंडा को बढ़ाने में पाकिस्तानी पत्रकार भी आगे

मजेदार बात यह थी कि ऑस्ट्रेलिया और अन्य समुदाय के लोगों को 'सिख्स फॉर जस्टिस' ने काम पर रखा गया था ताकि यह संकेत दिया जा सके कि ये समुदाय तथाकथित 'जनमत संग्रह' के पक्ष में हैं।

प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रविवार (29 जनवरी, 2017) को तथाकथित रेफरेंडम 2020 मतदान का आयोजन किया। मतदान केंद्र पर एक भारत समर्थक समूह मतदान का शांतिपूर्ण विरोध करने पहुँचा था। हालाँकि, घटनास्थल पर मौजूद खालिस्तानी सिखों ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक खालिस्तानी सिखों के वीडियो से भर गया, जो मतदान की सफलता के बारे में लंबे-चौड़े दावे कर रहे थे। टिकटॉक भारत में प्रतिबंधित है।

ऑपइंडिया को कुछ ऐसे वीडियो मिले, जिन्हें टिकटॉक पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है। मुर्तजा अली शाह नाम का पाकिस्तान का एक लंदन स्थित रिपोर्टर सोशल मीडिया पर मतदान के वीडियो साझा करने वाले सबसे सक्रिय टिकटॉक उपयोगकर्ताओं में से एक था।

टिकटॉक पर तथाकथित जनमत संग्रह के सैकड़ों वीडियो सामने आए हैं (फोटो क्रेडिट: टिकटॉक)

उसके ट्विटर अकाउंट ‘मुर्तजा व्यूज (MurtazaViews)’ को ‘लीगल डिमांड’ की वजह से भारत में बंद कर दिया गया है। यह सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान खालिस्तानी तत्वों का समर्थन करता है और ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने कई मौकों पर पाकिस्तान से संपर्क किया और उसका समर्थन हासिल किया है।

मुर्तजा के ट्विटर अकाउंट को भारत में बंद किया गया है (सोर्स: ट्विटर)

मुर्तजा ने न केवल टिकटॉक, बल्कि इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म पर भी वीडियो पोस्ट किए हैं। सबसे ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो में से एक ऑस्ट्रेलिया में एक सिख महिला का है जिसने दावा किया कि 60,000 से अधिक सिख मेलबर्न में मतदान के लिए गए थे। वीडियो में उसने कहा, “हम खालिस्तान जनमत संग्रह के लिए वोट देने आए थे। पुरुषों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित लगभग 60,000 सिखों ने जनमत संग्रह के लिए मतदान किया।”

वीडियो में वो आगे कहती है, “लगभग 15,000-20,000 लोग मतदान नहीं कर सके। उनका दिल टूट गया है। हम दूसरा मतदान दौर आयोजित करेंगे। सुबह छह बजे से शाम पाँच बजे तक सभी उत्साहित रहे। बहुत अच्छा अनुभव था।”

‘द ऑस टुडे (The Aus Today)’ के सह-संस्थापक डॉ अमित सरवाल ने इन दावों को खारिज करते हुए एक पोस्ट में कहा, “कहा जा रहा है कि 60 हजार खालिस्तानी मेलबर्न में फेडरेशन स्क्वायर में मतदान करने आए, जहाँ सुरक्षा के कारण अधिकतम क्षमता 10 हजार लोगों की ही है। पाकिस्तानी मीडिया द्वारा समर्थित फर्जी जनमत संग्रह, फर्जी विचारधारा।”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “केवल 28,800 सेकंड में 80,000 खालिस्तानियों ने मेलबर्न में मतदान किया। इस हिसाब से देखा जाए तो 2.77 खालिस्तानियों ने प्रति सेकंड एक ऐसे स्थान पर मतदान किया जहाँ आधिकारिक तौर पर केवल 10 हज़ार लोगों की अनुमति है।”

एक अन्य वीडियो में पगड़ी पहने एक महिला ने दावा किया कि भारत में सिखों के साथ भेदभाव होता है। उसने कहा, “बात यह है कि भारतीय सिखों के साथ अन्याय कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास अधिकार नहीं हैं। जैसे मेट्रो में हमें 9 इंच से ज्यादा की कृपाण पहनने का अधिकार नहीं है, यही मुख्य बात है। पगड़ी जैसी और भी चीजें हैं… भारत में हमें पगड़ी की वजह से तंग किया जाता है। पंजाब में यह ठीक है, लेकिन पूरे भारत में हमें पगड़ी के कारण तंग किया जाता है।” महिला द्वारा किए गए दावे बेहद आपत्तिजनक हैं। भारत भर में, सिखों को राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता रहा है।

मजेदार बात यह थी कि ऑस्ट्रेलिया और अन्य समुदाय के लोगों को ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ ने काम पर रखा गया था ताकि यह संकेत दिया जा सके कि ये समुदाय तथाकथित ‘जनमत संग्रह’ के पक्ष में हैं।

टिकटॉक पर शेयर किए गए एक वीडियो में एक बुजुर्ग महिला ने दावा किया, “जब विभाजन हुआ और अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए, तो भारतीय नेताओं ने सिखों से वादा किया था कि उन्हें एक स्वायत्त राज्य मिलेगा, लेकिन बाद में नेहरू ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने आगे दावा किया कि सिख भारत में अत्याचार और भेदभाव का सामना कर रहे हैं और यही कारण है कि वह खालिस्तान की माँग कर रहे हैं।”

खालिस्तान की माँग करने वाली बुजुर्ग महिला (साभार-TIKTOK)

उल्लेखनीय है कि खालिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया में भारत विरोधी गतिविधि बढ़ाई है और इसी क्रम में इस रेफरेंडम का आयोजन किया गया था। हाल ही में खालिस्तानियों ने वहाँ कई मंदिरों को भी निशाना बनाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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