Sunday, September 8, 2024
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माजिद फ्रीमैन पर आतंक का आरोप: ‘कश्मीर टाइप हिंदू कुत्तों का सफाया’ वाले पोस्ट और लेस्टर में भड़की हिंसा, इस्लामी आतंकी संगठन हमास का है समर्थक

माजिद फ्रीमैन को 9 जुलाई, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उसे कोर्ट में पेश होने किए जाने के बाद शर्तों के साथ जमानत भी दे दी गई है। माजिद पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और अपना घर छोड़ने को लेकर रोक लगाई गई है। अब आगे उस पर यह मुकदमा चलता रहेगा।

ब्रिटेन के लेस्टर में 2022 में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा भड़काने वाले मुस्लिम कट्टरपंथी माजिद फ्रीमैन पर सुरक्षा एजेंसियों ने आतंक को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उसके इस्लामी आत्न्क्की संगठन हमास और फ़्रांस में हुए चार्ली अब्दो पर हमले को बढ़ावा देने के सबूत मिले हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 36 वर्षीय माजिद नोवसरका को बुधवार (24 जुलाई, 2024) को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में उसके ऊपर दिसम्बर, 2023 और जून, 2024 के बीच माजिद ने लगातार इस्लामी आतंकी संगठन हमास के समर्थन में खूब प्रचार किया।

हमास ब्रिटेन के भीतर एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। इसके अलावा माजिद ने 2015 में फ्रांस की पत्रिका चाली अब्दो पर हुए इस्लामी आतंकियों के हमले को भी सही ठहराया था और लोगों को ऐसा ही हमला करने के लिए भड़काया था। चार्ली अब्दो पर यह हमला ISIS ने किया था क्योंकि उसने पैगम्बर मुहम्मद का एक कार्टून छाप दिया था।

माजिद फ्रीमैन को 9 जुलाई, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उसे कोर्ट में पेश होने किए जाने के बाद शर्तों के साथ जमानत भी दे दी गई है। माजिद पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और अपना घर छोड़ने को लेकर रोक लगाई गई है। अब आगे उस पर यह मुकदमा चलता रहेगा।

लेस्टर में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने में सबसे आगे था माजिद फ्रीमैन

माजिद फ्रीमैन लेस्टर का एक स्थानीय मुस्लिम “कार्यकर्ता” है, जो समस्या पैदा करने वाला और चरमपंथी इस्लामी विचारों को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। लेस्टर हिंसा के दौरान, माजिद हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली फर्जी खबरें फैलाने में सबसे आगे था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 28 अगस्त 2022 को टी-20 मैच में हुई हार के बाद भारतीय ध्वज का अपमान होने के बाद झड़प हो गई थी। झड़प के बाद हिंदुओं ने माहौल को शांत किया और उस व्यक्ति की मदद की जिसने भारतीय ध्वज छीनकर उसका अपमान किया था। हालाँकि, माजिद फ्रीमैन की कहानी कुछ और ही थी।

लेस्टर पुलिस ने 30 अगस्त को जब मुस्लिम संगठनों से प्रभावित होकर झूठ बोला कि हिंदू ‘मुस्लिमों को मारो’ के नारे लगा रहे हैं (बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी जाँच में ऐसा कोई नारा नहीं सुना गया था), तो माजिद ने हिंदुओं के खिलाफ दंगा भड़काने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।

शौकत एडम का समर्थक है माजिद फ्रीमैन

माजिद फ्रीमैन एक इस्लामिक कट्टरपंथी है। वो 2022 के लेस्टर प्रकरण के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने में सबसे आगे था, तो फिलिस्तीन समर्थक शौकत एडम का भी समर्थक है।

माजिद ने अपने ट्वीट्स में शौकत का खूब समर्थन किया। उसने एक ट्वीट में लिखा “पिछले हफ़्ते की यह बात याद है? @JonAshworth को अभी इसका पछतावा हो रहा होगा। सबसे बढ़िया आदमी @ShockatAdam ने जीत हासिल की और अब लेस्टर साउथ में उनकी जगह ले ली है।”

शौकत एडम की तरह ही माजिद फ्रीमैन भी उन्मादी मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा को सही ठहराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता। ऐसे में उसी की तर्ज पर फ्रीमैन ने लगातार फर्जी खबरें फैलाकर और अपने सह-धर्मियों को ‘हिंदुओं को सबक सिखाने’ के लिए उकसाकर इसे एक स्तर आगे बढ़ाया।

सितंबर 2022 में इस इस्लामिक कट्टरपंथी ने आरोप लगाया कि 3 लोगों ने एक किशोर मुस्लिम लड़की का अपहरण करने की कोशिश की थी। उसने ट्वीट किया, “कंफर्म: आज सुबह लेस्टर के एक कॉलेज से कुछ ही दूरी पर एक घटना घटी।”

उसने दावा किया, “एक मुस्लिम किशोरी से तीन लोगों ने संपर्क किया था, लेकिन वह स्कूल में भाग गई। कॉलेज और पुलिस को इसकी जानकारी है और लेस्टर पुलिस ने परिवार को घटना का नंबर दे दिया है।” उसने यहाँ तक ​​दावा कर दिया कि वो लड़की के परिजनों से मिला, और लड़की अभी सदमे में है।

माजिद के अन्य इस्लामिक कट्टरपंथी साथियों ने उसके इस झूठ को खूब फैलाया। इस मामले में RSS का नाम भी घसीटा गया कि वो कथित अपहरण के मामले में अहम भूमिका निभा रहा था। यही नहीं, इन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मुस्लिम लड़की के अपहरण के झूठे मामले में हिंदू व्यक्ति की जानकारी ऑनलाइन कर दी और उसका पता भी सोशल मीडिया पर लीक कर दिया। इसके साथ ही उस व्यक्ति को फेसबुक पर धमकियाँ दी गई।

इस मामले में लेस्टर पुलिस ने प्रेस रिलीज जारी कर सफाई दी थी और कहा था कि किसी मुस्लिम लड़की के अपहरण की कोई घटना नहीं हुई, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को भड़काने की कोशिश की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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