Sunday, November 17, 2024
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अफगानिस्तान से ‘खजाना’ लेकर भागे अशरफ गनी की बेटी अमेरिका में टहल रहीं, इधर मारे-काटे जा रहे अफगानी

मरियम की यह तस्वीर वर्तमान में इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एक ओर वह खुद हैं जिनके चेहरे पर चिंता की शिकन तक नहीं है और दूसरी ओर वो पूरा देश है जिसके राष्ट्रपति उनके पिता थे और खतरा आते ही दुबई में जा बसे।

अफगानिस्तान को तालिबान के हाथों छोड़कर दुबई (UAE) भागे देश के निर्वासित राष्ट्रपति अशरफ गनी इन दिनों राजकोष से 169 मिलियन डॉलर (₹12,57,24,50,800) ‘चुराने’ के कारण चर्चा में हैं। इस बीच उनकी बेटी मरियम गनी को न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में आराम से टहलते देखा गया। मरीयम न्यूयॉर्क में सालों से रह रही हैं और पेशे से वह एक फिल्ममेकर और विजुअल आर्टिस्ट हैं।

सामने आई तस्वीरों में मरियम को नीले रंग के 1 पीस ड्रेस में देखा जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अपने किसी दोस्त के साथ बाहर निकली थीं और इस दौरान उन्होंने अपना मास्क भी हाथ में लिया हुआ था। उनकी यह तस्वीर वर्तमान में इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एक ओर वह खुद हैं जिनके चेहरे पर चिंता की शिकन तक नहीं है और दूसरी ओर वो पूरा देश है जिसकी जिम्मेदारी मरियम के पिता अशरफ गनी के कंधों पर थी, लेकिन जैसे ही तालिबान का खतरा मंडराया, वो देश छोड़ भागे।

मरीयम गनी (साभार: डेलीमेल)

मालूम हो कि मरियम की यह तस्वीर आने से पहले अशरफ गनी ने भी बुधवार देर रात अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया था। अपनी वीडियो में उन्होंने पुष्टि की थी कि वह संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हैं। इस वीडियो में अशरफ गनी ने काबुल छोड़कर भागने के अपने फैसले का बचाव किया था और कहा था कि खून-खराबा रोकने का यही एक रास्ता था।

इसके साथ ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिनमें कहा गया था कि अशरफ गनी 169 मिलियन डॉलर लेकर देश से भागे थे। हालाँकि अपनी वीडियो में गनी ने सभी आरोपों को खारिज करने की कोशिश की। उन्होंने बताना चाहा कि उन्होंने अफगानिस्तान के राजकोष से 169 मिलियन डॉलर नहीं चुराए। गनी ने दावा किया कि उन्हें एक जोड़ी पारंपरिक कपड़ों और सैंडल में अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा जो उन्होंने पहन रखे थे। उनके मुताबिक उन पर जो पैसे चोरी का इल्जाम लगाया जा रहा है वो सब निराधार है।

बता दें कि अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान पूरी तरह से देश पर कब्जा कर चुका है। ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि शरिया की आड़ में इस्लामी कट्टरपंथी औरतों को उसी जलालत भरी जिंदगी में फिर से धकेल रहे हैं, जिनसे उन्हें करीब दो दशक पहले आजादी मिली थी। लड़कियों को चिह्नित कर घर से उठाया जा रहा। न 12 साल की लड़की छोड़ी जा रही है न 45 साल की औरत। उन्हें ढूँढ-ढूँढ कर निकाह के लिए उठाया जा रहा है और फिर उन्हें सेक्स स्लेव बनाया जा रहा है।

नए तालिबान में महिलाओं को चुस्त कपड़े पहनने की आजादी तो छोड़ दीजिए, बुर्का न पहनने पर मौत की सजा है। इसी तरह लड़कियों का पढ़ना, लिखना, नौकरी करना सब तालिबान के लिए हराम है। घर की अलमारियों से लेकर दराजों और सूटकेस तक में तालिबानी चेक कर रहे हैं कि कोई लड़की उनसे बच न जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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