दुनिया भर में युद्ध रोकने के लिए मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुएल लोपेज ओब्रेडोर (Andres Manuel Lopez Obrador)) ने एक आयोग बनाने के लिए प्रस्ताव रखा है। विश्व शांति व समझौते को बढ़ावा देने के लिए बनाया जाने वाला यह आयोग 5 साल के लिए एक शांति समझौता करेगा। ओब्रेडोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पोप फ्रांसिस और UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस अगले 5 सालों तक वैश्विक शांति का खाका पेश करें। इन तीनों की अगुवाई में एक समिति बनाई जाए।”
ओब्रेडोर के अनुसार, “प्रस्तावित संघर्ष विराम रूस-यूक्रेन संघर्ष, ताइवान, इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुँचने में मदद करेगा और अधिक टकराव को बढ़ावा देने से रोकेगा।” उन्होंने अनुरोध किया है कि दुनिया भर की सभी सरकारों को संयुक्त राष्ट्र के समर्थन में शामिल होना चाहिए।
युद्ध खत्म करने का आह्वान करते हुए मेक्सिकन राष्ट्रपति ने चीन, रूस और US को शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि तीनों देश उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, एक मध्यस्थता को सुनेंगे और इसे स्वीकार करेंगे। ओब्रेडोर के शब्दों में, “कोई उन्हें बताए कि इन देशों के आपसी टकराव की वजह से एक साल से भी कम समय में दुनिया को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। गरीबी, महँगाई बढ़ी है। इस वजह से दुनिया भर मे ढेरों जानें गई हैं।”
मेक्सिको के राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि मीडिया इस बारे में जानकारी फैलाने में उनकी मदद करेगा। कमीशन का लक्ष्य होगा कि वह दुनियाभर में युद्ध को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करेगा और कम से कम 5 साल के लिए एक शांति समझौता करेगा।
राष्ट्रपति ओब्रेडोर ने कहा, “मैं लिखित में प्रस्ताव दूँगा और इसे संयुक्त राष्ट्र में पेश करूँगा। मुझे उम्मीद है कि मीडिया इसे फैलाने में हमारी मदद करेगा, क्योंकि जब तक यह उनके लिए सुविधाजनक नहीं होता है, तो वे इस पर बोलते नहीं हैं। मेक्सिको के राष्ट्रपति ने प्रस्ताव दिया कि शीर्ष आयोग में पोप फ्रांसिस, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने चाहिए।”
मेक्सिको के राष्ट्रपति आगे कहते हैं, “ये तीनों नेता जल्द मिलेंगे और हर जगह युद्ध को रोकने का प्रस्ताव करेंगे कम से कम अगले 5 सालों तक वैश्विक शांति का खाका पेश करेंगे, ताकि दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों का समर्थन करने के लिए खुद को समर्पित कर सकें, खासकर उन लोगों का जो युद्ध और उससे होने नुकसान सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।”