बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने हिन्दू छात्र नेताओं के साथ बैठक की है। तख्तापलट के बाद हिन्दुओं पर लगातार हो रहे हमलों के बीच उन्होंने ये कदम उठाया है। बैठक में हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर चर्चा की जाएगी। 52 जिलों में हिन्दुओं पर हमले की सवा 200 के करीब घटनाएँ हो चुकी हैं। अंतरिम सरकार ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया है। हिन्दू समूहों ने अपनी 8 सूत्रीय माँग मुहम्मद यूनुस के सामने रखी है, जिसमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाना भी शामिल है।
माँग की गई है कि पीड़ित हिन्दुओं को न्याय दिलाने के लिए फास्टट्रैक कोर्ट्स की स्थापना की जाए, हिन्दू कल्याण ट्रस्ट को अपग्रेड कर फाउंडेशन बनाया जाए, शिक्षा बोर्ड को आधुनिक बनाया जाए, शारदीय दुर्गा पूजा के दौरान 5 दिवसीय छुट्टी घोषित की जाए और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का गठन किया जाए। इससे पहले मुहम्मद यूनुस ने इन घटनाओं को घृणित करार देते हुए युवाओं से अपील की थी कि वो हिन्दू, बौद्ध और ईसाई परिवारों की सुरक्षा करें।
अंतरिम सरकार में गृह विभाग के सलाहकार M शखावत हुसैन ने भी माना है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में चूक हुई है और उन पर हमले हुए हैं। उन्होंने इसके लिए माफ़ी माँगते हुए कहा कि ये जिम्मेदारी सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि बहुसंख्यक मुस्लिमों की है और दोनों अपना फर्ज निभाने में नाकामयाब रहे हैं। बांग्लादेश की सरकार भले माफ़ी माँग रही हो, भारत में मोहम्मद ज़ुबैर, राना अय्यूब, RJ सायेमा और अरफ़ा खानम शेरवानी जैसे लोग मानने को तैयार ही नहीं हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हुए हैं।
Thousands of Hindus will spend a second night standing patiently in chest high waters of snake and gator infested creeks at the India Bangladesh border, pleading to be let in.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 11, 2024
Turning them back would be akin to becoming an accomplice in their rape and murder. Save them. Save us. pic.twitter.com/vufbMpN4qK
बांग्लादेश में हिन्दू लगातार अपनी सुरक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही भारतीय सीमा पर भी उन्होंने पलायन किया है। उधर इस्लामी भीड़ ने 1971 का वो मेमोरियल भी तोड़ डाला, जिसमें पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेशियों पर क्रूरता करते हुए दिखाया गया है। इसी के बाद बांग्लादेश का गठन हुआ था। जिस पाकिस्तान के फौजियों ने यहाँ महिलाओं के साथ बलात्कार किया था, अब उसी पाकिस्तान के लिए बांग्लादेश के लोग मूर्तियाँ तोड़ रहे हैं।