अफ्रीका के मुस्लिम देश ट्यूनीशिया के प्रधानमंत्री ने देश में हुए हमलों के बाद सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सरकारी कार्यालयों में नक़ाब पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रधानमंत्री यूसुफ़ चाहेद ने एक सरकारी परिपत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार, “सरकारी प्रशासनिक कार्यालयों एवं सरकारी संस्थानों में किसी भी व्यक्ति के मुँह ढक कर आने पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध” लगाने की बात की गई है।
इस आदेश के अनुसार, सुरक्षा कारणों से देश के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए अपना चेहरा खुला रखना अनिवार्य कर दिया गया, जिससे उनकी पहचान स्पष्ट हो सके। दरअसल, ट्यूनीशियान में 27 जून 2019 को हुए आत्मघाती हमले के बाद यह निर्णय लिया गया है। इस हमले में दो लोग मारे गए थे और सात घायल हुए थे।
वहीं, मानवधिकारों से जुड़ी संस्था ट्यूनीशिया लीग ने अनुरोध किया है कि यह प्रतिबंध स्थायी न होकर अस्थायी होना चाहिए। लीग के अध्यक्ष जामेल मुसल्लम का कहना है कि हमें इच्छानुसार, पोशाक पहनने की आज़ादी होनी चाहिए।
ट्यूनीशिया एक मुस्लिम देश है जहाँ इस्लाम राजकीय धर्म है। देश की सरकार को ‘इस्लाम का संरक्षक’ माना जाता है और संविधान में देश के राष्ट्रपति का मुस्लिम होना आवश्यक है।
ऐतिहासिक तौर पर भी ट्यूनीशिया में ज़िन अल अबिदीन बेन अली के शासनकाल के दौरान भी, किसी भी मजहब के प्रतीक चिह्नों का वाह्य प्रदर्शन, चाहे वो इस्लामी ही क्यों न हो प्रतिबंधित था। लेकिन, 2011 की ‘क्रांति’ के बाद स्थिति बदल गई। ऐसे मज़हबी प्रतीकों पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया था। हालाँकि, 2015 के आतंकी हमले के बाद, नक़ाब पर प्रतिबंध को फिर से लागू करने की माँग की गई।