जेनान कैमोविक (Dzenan Camovic) ने जून में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ विरोध-प्रदर्शनों के दौरान ‘अल्लाह हू अकबर’ चिल्लाते हुए न्यूयॉर्क शहर के एक पुलिस अधिकारी की गर्दन में चाकू घोंप दिया था। उसने अपने मजहब से प्रेरित होकर इस घटना को अंजाम देने की बात कबूली थी।
इस शख्स के बारे में खुलासा हुआ है कि वह बोस्निया-हर्जेगोविना (Bosnian national) का एक अवैध अप्रवासी है। वह हिंसक इस्लामी कट्टरपंथ ISIS समर्थक है।
3 जून की इस घटना की रिकॉर्डिंग और कैमरा फुटेज में यह स्पष्ट देखा गया कि 21 साल का आरोपित जेनान कैमोविक ‘अल्लाह हू अकब’ कहते हुए ब्रुकलिन स्ट्रीट के कोने पर एक एंटी-लूटिंग पोस्ट पर तैनात न्यूयॉर्क पुलिस अधिकारी योनफ्रंट जीन पियरे (Yayonfrant Jean Pierre) की ओर बढ़ा और और उनकी गर्दन में चाकू घोंप दिया।
एक पुलिस अधिकारी की गर्दन में छुरा घोंपने के बाद आरोपित एक और अधिकारी रैंडी रामनारायण (Randy Ramnarine) का पीछा करते हुए दिखाई दिया था। अधिकारियों के अनुसार, रैंडी रामनारायण ने कैमोविक पर 2 बार गोलियाँ चलाईं और जीन पियरे ने 6 बार गोलीबारी की। पुलिस की गोलियों से घायल होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि कैमोविक ने पुलिस अधिकारी जीन पियरे की बंदूक को छीन लिया और उससे 6 शॉट दागे जिसमें रैंडी रामनारायण और एक अन्य अधिकारी घायल हो गए। रैंडी रामनारायण और एक हवलदार ने जवाबी कार्रवाई में गोलियाँ चलाईं। दोनों अधिकारी इस घटना में बुरी तरह से जख्मी हुए और उनका इलाज अभी तक जारी है।
इसकी जाँच में पता चला था कि पुलिस अधिकारियों पर हमला करने वाला 21 वर्षीय जेनान आतंकवादी संगठन ISIS से जुड़ा हुआ था और वह एक अवैध प्रवासी था।
अधिकारियों ने जब जेनान के ब्रुकलिन स्थित घर में तलाशी ली तो उन्हें वहाँ CD और एक पेन ड्राइव मिली, जिसमें अनवर अल-अवलाकी, एक मृत इस्लामिक धर्मगुरु और अल-कायदा नेता के ऑडियो और वीडियो व्याख्यान के साथ ही उनके मजहबी उपदेश शामिल थे।
दिलचस्प बात यह है कि यह हमला मिनियापोलिस पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जा रहे एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद न्यूयॉर्क शहर में चल रहे ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ विरोध प्रदर्शन और दंगों के दौरान हुआ था।
आरोपित जेनान कैमोविक के फोन में इस्लामिक स्टेट के संदर्भ में अरबी लेख की कर दी गई तस्वीरें और एक पत्रिका थीं, जिसका इस्तेमाल ISIS संगठन में अनुयायियों को भर्ती करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए किया जाता था।