मलेशिया की ‘नेगरी सेम्बीलन इस्लामी रिलीजियस काउंसिल (MAINS)’ ने कहा है कि ‘अल्लाह’ एक बेहद ही पवित्र शब्द है और इसका इस्तेमाल सिर्फ इस्लाम के लिए और मुस्लिमों द्वारा ही होना चाहिए। संस्था ने ऐलान किया कि ‘अल्लाह’ शब्द का न तो किसी अन्य मजहब के लोग इस्तेमाल कर सकते हैं और ही अल्लाह की तुलना किसी अन्य मजहब के देवी-देवता अथवा ईश्वर से की जा सकती है।
इस्लामी काउंसिल MAINS के अध्यक्ष दातुक डॉक्टर अब्दुल अजीज शेख अल कादिर ने ये घोषणा की। ये मलेशिया के नेगेरी सेम्बीलन (Negeri Sembilan) राज्य की मजहबी संस्था है। इस राज्य की राजधानी पोर्ट डिक्सॉन (Port Dickson) में स्थित है, जो मलेशिया के पूर्वी तटवर्ती इलाके में आता है और राजधानी क्वालालंपुर से दक्षिण की तरफ है। मलेशिया के राज्यों में ‘अल्लाह’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है।
कादिर ने कहा कि राज्य में शांति और भाईचारा कायम रखने के लिए और सभी मजहबों और नागरिकों की संवेदनशीलता को समझते हुए ग़ैर-मुस्लिमों को ये सलाह दी जाती है कि वो कानून का पालन करें और ‘अल्लाह’ शब्द को लेकर जारी फतवा के हिसाब से चलें। बता दें कि इस राज्य में सितंबर 14, 2016 को ही एक राजपत्रित फतवे में मुस्लिमों को ‘अल्लाह’ शब्द का इस्तेमाल सावधानी से करने की सलाह दी गई थी।
Word ‘Allah’ for use in Islam, by Muslims only – MAINS
— TheMalaysianReserve (@TMReserve) April 21, 2021
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उन्होंने कहा कि ‘अल्लाह’ शब्द के इस्तेमाल से गाली या अपमान की बू आती है तो फिर कानून के हिसाब से सजा दी जाएगी। राज्य में मुस्लिमों के बीच मजहबों के प्रचार को रोकने के लिए पहले ही कानून बन चुका है। सिर्फ ‘अल्लाह’ ही नहीं, बल्कि 36 शब्दों की एक सूची तैयार की गई है जिसका इस्तेमाल ग़ैर-मुस्लिम नहीं कर सकते। मुस्लिमों के बीच अन्य मजहबों के प्रचार को ‘प्रोपेगेंडा’ बता कर प्रतिबंधित कर दिया गया।
मार्च में मलेशिया के 13 राज्यों में से एक सेलंगोर के सुल्तान शरफुद्दीन इदरीस शाह ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी थी। शरफुद्दीन ने ‘सेलंगोर इस्लामी रिलीजियस काउंसिल’ से कहा था कि वे इस मामले में हाई कोर्ट में हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा था कि वे अपने इस स्टैंड पर कायम हैं कि ‘अल्लाह’ शब्द मुस्लिमों के लिए पवित्र है और कोई इसका दुरुपयोग नहीं कर सकता। हाई कोर्ट ने इस फतवे को निरस्त किया था, जिसके बाद कई राज्यों ने विरोध किया।