पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों को निकालने के निर्णय के बाद अब इसके परिणाम सामने आ रहे हैं। अफगान शरणार्थी व्यापारियों का उधार पैसा पाकिस्तानी नहीं लौटा रहे हैं। अफगानी कुछ दिनों में वापस चले जाएँगे, ऐसा जान कर वह बहाने बना रहे हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने हाल ही में देश से अफगानी शरणार्थियों को निकालने का निर्णय लिया है। यह अफगानी शरणार्थी 1979 पिछले 4.5 दशक में अस्थिर अफगानिस्तान से भाग कर पाकिस्तान आए हैं। बड़ी संख्या 1980 के दशक में आने वालों की है। पाकिस्तान की सरकार ने 17 लाख अफगानियों को पाकिस्तान छोड़ने को कहा है। पाकिस्तान ने इन अफगानियों को कहा है कि वह अपने साथ केवल 50,000 पाकिस्तानी रुपए ही लेकर जा सकते हैं। अब तक लगभग 2 लाख अफगानी पाकिस्तान छोड़ चुके हैं।
पाकिस्तान ने यह कदम अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर दबाव बनाने के लिए उठाया है। पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान, आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा और वह अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग पाकिस्तान पर हमलों के लिए कर रहे हैं।
पाकिस्तान के कराची शहर के अल आसिफ इलाके में रहने वाले हाजी मुबारक शिनवारी एक अफगानी शरणार्थी और व्यापारी हैं। उनके ट्रांसपोर्ट से लेकर कपड़े और सूदखोरी समेत कई व्यापार हैं। उन्होंने बड़ी रकम पाकिस्तानियों को भी उधार दे रखी है।
हाजी मुबारक का कहना है चूँकि अब हमारे यहाँ रुकने पर तलवार लटक रही है इसलिए पाकिस्तानी अब हमारा रुपया देने में आनाकानी कर रहे हैं। उन्हें अब उधार लौटाने की चिंता नहीं है। एक अन्य अफगानी व्यापारी शरीफुल्ला जान का 52 लाख रुपया पाकिस्तानियों के पास उधार है। उन्हें भी अपने पैसे वापस नहीं मिल रहे। इन व्यापारियों के पैसे मिलना दूर, अब पाकिस्तान की पुलिस और उनके दलाल इनके इलाकों में आकर अवैध वसूली भी कर रहे हैं। इसी कारण से जिन इलाकों में अफगानी शरणार्थी रहते हैं, वहाँ पर दुकान धंधे बंद हैं।
अफगानिस्तान से पाकिस्तान आने वाले अधिकांश शरणार्थी गरीब और अनपढ़ हैं। हालाँकि, उनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्होंने समय के साथ पाकिस्तान में अपने व्यापार कर लिए थे। यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा हैं। एक रिपोर्ट बताती है हाजी इकबाल जैसे अनेकों शरणार्थी इस बात का इंतजाम कर रहे हैं कि वह पाकिस्तान में बनाई गई अपनी संपत्तियाँ कैसे वापस लेकर जाएँ। अफगान महिलाओं ने पाकिस्तान की सरकार के इस निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं।
पाकिस्तान में रहने वाले एक अन्य अफगान शरणार्थी रहमत खानजादा का कहना है कि यह कुछ वैसी ही स्थिति है जैसी हिन्दुओं को भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान में देखनी पड़ी थी। एक अन्य व्यापारी अहमद का कहना है कि उन्हें 15 लाख रूपए का माल आधी कीमत पर बेचना पड़ा है।
मोहम्मद आसिफ नाम का शख्स जो पाकिस्तान की मच्छर कॉलोनी में रहा उसे अपनी दुकान मात्र 0.3 मिलियन (88,590 पाकिस्तानी रुपए) में बेचनी पड़ी। जब उससे पूछा गया कि वो अच्छे सौदे के लिए क्यों नहीं रुका इसपर उसने जवाब दिया कि उसे डर है कि पाकिस्तान की पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी।
पाकिस्तान के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचना भी हुई है। हालाँकि, सेना के दबाव के चलते उसकी अंतरिम सरकार अफगान शरणार्थियों को अपने देश से बाहर निकालने पर आमादा है।