पाकिस्तान ने श्रीलंका में बुर्का पर प्रतिबंध और एक हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश को ‘विभाजनकारी’ बताया है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने श्रीलंका को चेतावनी भी दी है। श्रीलंका में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की निंदा की है। कहा है कि सुरक्षा के नाम पर उठाए जाने इस तरह के विभाजनकारी कदमों से मुस्लिमों की भावनाएँ आहत होंगी। साथ ही अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों का हनन होगा।
श्रीलंका में पाकिस्तानी उच्चायुक्त साद खट्टाक (Saad Khattak ) ने कहा, “बुर्का बैन से श्रीलंका और दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाएँ आहत होंगी। कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका पहले ही आर्थिक मुश्किलों में घिरा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी श्रीलंका को अपनी छवि को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे दौर में, आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, सुरक्षा के नाम पर इस तरह के विभाजनकारी कदम उठाने से देश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को लेकर सवाल और बढ़ेंगे।”
श्रीलंका में पाकिस्तान के उच्चायुक्त साद खट्टाक की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तीन दिन पहले श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरत वीरासेकेरा (Sarath Weerasekera) ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कैबिनेट मंत्रियों से बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मंजूरी देने की माँग के लिए शुक्रवार (मार्च 12, 2021) को एक पत्र पर हस्ताक्षर किए।
सरत वीरासेकेरा ने बताया, “हमारे शुरुआती दिनों में मुस्लिम महिलाएँ और लड़कियाँ बुर्का नहीं पहनती थीं। यह मजहबी अतिवाद का प्रतीक है जो हाल में ही सामने आया है। हम इसे निश्चित तौर पर बंद कर देंगे।” उल्लेखनीय है कि बौद्ध बहुल देश में चर्च और होटलों पर 2019 में हुए आतंकी हमलों के बाद बुर्का पहनने पर अस्थायी तौर पर पाबंदी लगा दी गई थी। इन हमलों में 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
विरासेकेरा ने कहा कि सरकार की योजना 1000 से ज्यादा ऐसे मदरसों को बंद करने की भी है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी स्कूल खोल कर बच्चों को वह नहीं पढ़ा सकता जो वह पढ़ाना चाहता है।”