पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाला अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते शनिवार को सिंध प्रांत के लरकाना में अली गोहर अबाद इलाके से आरती बाई नाम की 22 वर्षीय हिंदू लड़की का अपहरण कर जबरन धर्मपरिवर्तन कराया गया और उसकी एक व्यक्ति से शादी करा दी गई। इस मामले में कल जब अदालत ने हिंदू लड़की के माता-पिता को पीड़ित से मिलने नहीं दिया तो इसके विरोध में हिंदू समुदाय के लोगों ने कोर्ट के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया।
पीड़ित परिवार के अनुसार, लड़की 3 अप्रैल 2021 को लापता हो गई थी। वह रेशम गली स्थित एक ब्यूटी पार्लर के लिए घर से निकली थी। वह यहाँ काम करती थी। जब वह घर नहीं लौटी तो उसके पिता ने पुलिस से संपर्क किया। बाद में पता चला कि लड़की का अपहरण कर उसका जबरन धर्मपरिवर्तन करा दिया गया और अपहरणकर्ता से ही उसकी शादी भी करवा दी गई।
लड़की के अपहरण के छह दिन बाद कराची के एक पत्रकार ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें दिखाया गया था कि हिंदू समुदाय के सदस्य, अपहृत लड़की के माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बताया था कि स्थानीय अदालत ने माता-पिता को बेटी से मिलने की अनुमति नहीं दी थी।
Just in: Hindu girl Aarti who was abducted from Larkana, got converted to Islam, and married off to man.
— Veengas (@VeengasJ) April 9, 2021
Local court kept girl’s parents from meeting with girl. In video seen Hindu community held protest and asked for justice. “Khapay Phapay Justice Khapay”
Video:local jour pic.twitter.com/SArRIMM54r
पाकिस्तान में हिंदुओं लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण आम बात है। इस्लामी कट्टरपंथी हिंदू लड़कियों का आए दिन अपहरण करते हैं। फिर उनसे इस्लाम कबूल करवा अपहरणकर्ता से ही शादी करवा देते हैं।
बीते 11 मार्च सिंध में कविता ओड नाम की लड़की का जबरन अपहरण कर उससे जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया था। इसके कुछ दिनों बाद उसके घर को अज्ञात बदमाशों ने आग लगा दी। मार्च 2021 में पाकिस्तान में एक पत्रकार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। पत्रकार ने हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण में राजनेताओं और मौलवियों की भूमिका को उजागर किया था।
हकीकत ये है कि कुछ मामलों में पाकिस्तान की अदालतें भी हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करती हैं। जून 2020 में पाकिस्तान के एक जिला मजिस्ट्रेट ने एक मुस्लिम व्यक्ति को अपनी हिंदू पत्नी को रखने की अनुमति दे दी थी। बावजूद इसके कि लड़की के माता-पिता ने ये आरोप लगाया था कि उनकी बेटी का अपहरण करने के बाद आरोपी ने उससे जबरन शादी कर ली थी।