सामान्यतः जब भी कभी लोग मंदिर जाते हैं तो वहाँ पूजा करते हैं और अगर मजारों में जाते हैं तो लोग चादरें चढ़ाते हैं। ये परंपराएँ लंबे समय से चली आ रही हैं। लेकिन, पाकिस्तान के खैरपुर जिले का एक गाँव है बबरलो। इस गाँव में एक मजार है। जहाँ पर लोगों की मन्नतें पूरी होने के बाद एक जिंदा नर गधा चढ़ाया जाता है।
डी डब्ल्यू न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक ये मजार पीर राजन कदाल जहानिया का है। एक स्थानीय शख्श ने इसको लेकर कहा, “हमारे गाँव में बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि उस टाइम एक जीप लेकर आए थे। उन्होंने ‘साईं’ से कहा कि आप कलंदर से हमारे साथ चलें। लेकिन ‘साईं’ ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं गधे से जाऊँगा। हमसे पहले उधर राजन कदाल बैठे हुए थे।”
यहाँ आने वाले लोगों का कहना है कि लोगों की औलाद की मन्नत पूरी होने के बाद वो एक नर गधा मजार पर चढ़ाते हैं। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है। यहीं नहीं अगर किली मुस्लिम के पास बड़े गधे का चढ़ावा चढ़ाने के लिए पैसे नहीं हों तो वो छोटा सा नर गधा भी मजार पर चढ़ा सकता है, क्योंकि ये सस्ता मिलता है। एक व्यक्ति का कहना है कि मेरी भतीजी को बच्चा पैदा नहीं हो रहा था तो मैंने उसे कहा कि तुम पीर राजन साईं की मजार पर जाओ और अकीदत माँगों, तुम्हें यकीनन बेटा ही होगा। उसने बताया, “उसके यहाँ बेटा पैदा हो गया। उसने दरख्वास्त की कि तुम मेरा बेटा दरगाह पर ले जाओ मेरी मन्नत पूरी हो गई है। हम यहाँ चादर, लंगर और गधे को नजराने के तौर चढ़ाते हैं।”
इस मजार के फकीर का कहना है, “बचपन में पीर राजन कदल जहानिया की पसंदीदा सवारी गधा होता था। जवानी में कहीं जाना होता था तो भी वो गधे की ही सवारी करते थे। फकीर के मुताबिक, जो भी अकीदतमंद वहाँ पर अपनी मुरादें लेकर आता था तो साईं उसे गधे का बाल तोड़कर देते थे और कहते थे कि इसे अपने घर में रखो, तुम्हें बेटा ही पैदा होगा। फकीर ने ये भी बताया कि जिस गधे का चढ़ावा चढ़ाया जाता था उसे बाद में बेच दिया जाता था।”
खास बात ये है कि नर गधा केवल वही अकीदतमंद चढ़ाते हैं, जो यहाँ पर बेटे की मुराद लेकर आते हैं।