कश्मीर के मुद्दे पर दुनियाभर में किरकिरी करा चुके पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अब अपने ही मुल्क में घिरते नजर आ रहे हैं। देश में उनकी सरकार के खिलाफ आवाजें बुलंद हो रही हैं। जिससे निपटने के लिए इमरान हर दाँव चलना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले ही जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इस्लामाबाद तक ‘आजादी मार्च’ निकालने का ऐलान किया था अब इमरान सरकार उनके सामने घुटने टेकने को तैयार हैं।
इमरान खान ने अपने राजनीतिक सहयोगियों से मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत करने के लिए रास्ता निकालने के लिए कहा है। बताया जा रहा है कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में सरकार के प्रवक्ताओं के साथ बैठक के दौरान यह निर्देश दिए। बता दें कि फजलुर्रहमान ने संघीय राजधानी में सरकार के खिलाफ 31 अक्टूबर को बैठक बुलाई है। मौलाना ने इमरान को चेतावनी दी है कि अगर उनकी सरकार ने आजादी मार्च रोकने की कोशिश की तो पूरे पाकिस्तान में चक्का जाम कर दिया जाएगा।
पीएमओ कार्यालय की बैठक में शामिल प्रधानमंत्री के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस दौरान यह फैसला लिया गया है कि सरकार को उनकी पार्टी की माँगों का पता लगाने के लिए जेयूआई-एफ प्रमुख से पहुँच स्थापित करनी चाहिए और इस मुद्दे पर गतिरोध नहीं बढ़ाना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री का विचार है कि जेयूआई-एफ प्रमुख दो मुख्य विपक्षी दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कतार में हैं। बैठक में कहा गया कि पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों, जो क्रमश: दो और तीन बार सत्ता में रहे, अब एक मंच पर पहुँच गए हैं और वह देश में छोटे दलों की मदद लेने के लिए मजबूर हैं।
वहीं, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल हक कादरी ने स्पष्ट किया कि उन्हें मौलाना फजलुर रहमान के साथ बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। एक बयान में मंत्री ने कहा कि मीडिया में चल रही उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस मामले को देखने के लिए एक समिति बनाने का काम सौंपा है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मौलाना रहमान को संघीय राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उन्हें पंजाब या खैबर पख्तूनख्वा में गिरफ्तार किया जा सकता है।