पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की बच्चियों का अपहरण, उनसे बलात्कार, फिर धर्म परिवर्तन और पुरुषों की हत्याओं का सिलसिला जारी है। शर्मनाक ये है कि प्रशासन से लेकर वहाँ की न्याय व्यवस्था भी इस्लामिक कट्टरपंथियों के ही कृत्यों का समर्थन कर रही है।
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने आज सुबह एक वीडियो साझा की। उनके मुताबिक यह वीडियो सिमरन नाम की लड़की के परिवार की है। इसमें देखा जा सकता है कि परिवार अपनी बच्ची सिमरन के लिए बिलख-बिलख कर रो रहा है।
A video from Burjhundi Shrine of Mian Mithu in Ghotki-Sindh. A Hindu girl Simran is converted to Islam. https://t.co/c5DkYEFSPe pic.twitter.com/usEb5oD0fj
— Rahat Austin (@johnaustin47) August 19, 2020
सिमरन का कुछ समय पहले घोटकी-सिंध के मीरपुर इलाके से कट्टरपंथियों ने अपहरण किया था। फिर बलात्कार कर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया। परिवार ने इंसाफ के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया कि एक इस्लाम मानने वाले का गैर-इस्लामी परिवार से कोई संबंध नहीं होता। अगर उन्हें उनसे मिलना है तो उन्हें भी इस्लाम कबूल करना होगा।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आवाज उठाने वाले वॉयस ऑफ पाकिस्तान मायनॉरिटी नाम के ट्विटर हैंडल पर भी सिमरन के परिवार की यह वीडियो डाली गई है। ट्वीट में दावा किया गया है कि इसके पीछे भी हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण करवाने वाले कुख्यात मियाँ मिट्ठू का ही हाथ है।
Look at the condition of Simran’s mother. The family requested the court to meet their daughter but the court rejected their appeal by saying that they have to convert to Islam if they want to meet her. Hence, the HR minister says that minorities enjoy full rights & freedom. pic.twitter.com/Wy82RXmgtO
— Voice of Pakistan Minority (@voice_minority) August 20, 2020
राहत ऑस्टिन का सिमरन मामले में कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला लिखित में नहीं दिया। जब परिवार को यह बात बोली गई तब लड़की कठघरे में न्यायाधीश के सामने थी। लेकिन माँ और हिंदू परिजनों को उससे मिलने नहीं दिया गया। जज ने धर्म परिवर्तन की बात भी तब बोली जब उन्होंने अपनी बेटी से मिलने का अनुरोध किया।
This is not a judgment by the court. They are so wise that will not write this in a judgment. Girl was present in chamber of the judge. But mother and Hindu parents were not allowed to meet her. The judge said this in his remarks when they asked permission to meet their daughter
— Rahat Austin (@johnaustin47) August 20, 2020
जगजीत कौर को लाहौर की कोर्ट ने भेजा मोहम्मद हसन के पास
यह अकेला मामला नहीं है जो पाकिस्तान के प्रशासन और उनकी न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है। कुछ समय पहले पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे के ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर के अपहरण का मामला सामने आया था। जगजीत का अपहरण मोहम्मद हसन ने किया था। इसके बाद जगजीत के परिवार ने उसपर कई आरोप लगाए।
जगजीत के परिवार का कहना था कि हसन ने उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन करवाकर उसका नाम आयशा कर दिया। जब इस मामले ने हर जगह तूल पकड़ा तो दिखाने के लिए वहाँ इस पर कार्रवाई शुरू हुई।
हसन को गिरफ्तार किया गया। जगजीत को शेल्टर होम भेजा गया। लेकिन अब हाल ही में ये खबर सामने आई कि लाहौर हाईकोर्ट ने उसे हसन के पास ही दोबारा भेज दिया है। अब वह हसन के साथ ही दोबारा रहेगी।
नाबालिग ईसाई लड़की की कस्टडी भी अपहरण करने वाले को दी गई
सिमरन और जगजीत के बाद एक और केस पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था की सच्चाई खोलता है। ये केस 14 साल की ईसाई लड़की मायरा का है। फैसलाबाद की रहने वाली मायरा से निघत शहबाज ने पिछले साल अप्रैल में अगवा कर निकाह किया।
परिवार के विरोध पर यह पूरा मामला कोर्ट में पहुँचा तो कोर्ट ने लड़की के साथ हुई ज्यादतियों को तो नजरअंदाज किया ही, साथ ही उसकी उम्र को भी नहीं देखा। अंत में उसकी कस्टडी उसी व्यक्ति को दे दी गई जिसने उसका अपहरण किया था। इस केस में भी बच्ची कुछ समय के लिए शेल्टर होम में रखी गई थी।
सालाना 1000 गैर-इस्लामी लड़कियों से कबूल करवाया जाता है इस्लाम
बता दें, पाक में इतनी तेजी से लड़कियों के धर्मांतरण की खबरें सिर्फ़ मीडिया में आने वाली खबरों से नहीं पता चलतीं। वहाँ की मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट भी बताती है कि सालाना पाकिस्तान में कम से कम 1000 गैर इस्लामी लड़कियों से जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है। इनमें से अधिकांश सिंध में रहने वाली हिंदू समुदाय की होती हैं।
सैकड़ों अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन के मामले आने के बाद भी पाकिस्तान सरकार का इन मामलों पर कोई एक्शन नहीं है। साल 2016 और 2019 में एक विधेयक लाने की बात जरूर सामने आई थी।