Monday, December 23, 2024
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कम्युनिस्ट तानाशाही के खिलाफ क्यूबा में लोगों का फूटा गुस्सा: सड़कों पर उतर कर किए प्रदर्शन, आजादी के लगाए नारे

प्रदर्शनकारियों ने 'आजादी' और 'डियाज कैनेल पद छोड़ो' जैसे नारे लगाए। हवाना शहर में हजारों लोगों के जमा होने पर कुछ की गिरफ्तारियाँ भी हुईं।

क्यूबा में रविवार (11 जुलाई 2021) को देश में कम्युनिस्ट तानाशाही का अंत, आजादी की माँग और देश में बिगड़ते आर्थिक हालातों को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक सप्ताह तक बिजली गुल रहने के कारण भी लोगों का गुस्सा फुट पड़ा। बड़ी संख्या में लोगों ने सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच शहर के कई हिस्सों में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए, जो पिछले कई दशकों में पहली बार हुआ है।

दरअसल, क्यूबा की जनता देश में वैक्सीन की कमी और कोरोना संकट पर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। बताया जा रहा है कि कोविड-19 की टीकाकरण की धीमी गति, खाने के लिए लंबी लाइनें, दवाओं की कमी और सरकार की कथित लापरवाही को लेकर यहाँ के लोगों में रोष व्याप्त है। यही कारण है कि हजारों लोग सड़कों पर निकलकर क्यूबा में कम्युनिस्ट शासन को समाप्त करने की माँग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों में शामिल मुख्य रूप से युवाओं ने राष्ट्रपति मिगेल डियाज कैनेल का अपमान किया, जो इस कार्यक्रम में आए थे। ऑनलाइन पोस्ट किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को सभी प्रोटोकॉल को धता बताते हुए ‘कोविड-19 वायरस से हम डरते नहीं हैं’ कहते हुए और ‘आजादी’ के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है।

हवाना की सीमा से लगे आर्टेमिसा प्रांत में सैन एंटोनियो डी लॉस बानोस नगरपालिका में पहली बार विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई। सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में लोगों को सरकार विरोधी नारे लगाते हुए और कोरोनो वायरस वैक्सीन की माँग से लेकर रोजाना बिजली कटौती बंद करने के लिए अपनी आवाज बुलंद करते देखा जा सकता है।एक स्थानीय निवासी ने कहा कि वे ब्लैकआउट का विरोध कर रहे हैं। दरअसल, वामपंथी तानाशाही वाला क्यूबा पिछले कई सालों से भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

इसके अतिरिक्त, हैशटैग #SOSCuba के तहत एक सोशल मीडिया कैंपन चलाया जा रहा है। यहाँ के नागरिकों और कुछ रैप सितारों के सहयोग से सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी कर रहा है। इसमें सरकार से देश में जरूरी चीजों के लिए विदेशी दान लेने का अनुरोध किया गया है।

क्यूबा में प्रदर्शनकारी। फोटो: द डेली वायर

पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे क्यूबा की कोरोना महामारी ने कमर तोड़ दी है। इस दौरान देश की हालत और भी बदतर हो गई है। यहाँ की जनता कम्युनिस्ट शासन से त्रस्त है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कम्युनिस्ट देश क्यूबा पिछले 30 वर्षों के सबसे खराब आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।

अमेरिका पर आरोप

राष्ट्रपति डियाज कैनेल, जो कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख भी हैं, उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस अशांति के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को दोषी ठहराया। क्यूबा के राष्ट्रपति ने दावा किया कि बहुत से प्रदर्शनकारी नेक नीयत थे, लेकिन वे अमेरिका द्वारा रचे गए सोशल मीडिया अभियानों और धरातल पर मौजूद भाड़े के सैनिकों के बहकावे में आ गए। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसे उकसावों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक रिपोर्टर, ने पुलिस को कुछ प्रदर्शनकारियों पर मिर्ची स्प्रे का छिड़काव करते और कुछ अन्य को लाठियों से पीटते देखा। प्रदर्शनकारियों ने ‘आजादी’ और ‘डियाज कैनेल पद छोड़ो’ जैसे नारे लगाए। हवाना शहर में हजारों लोगों के जमा होने पर कुछ की गिरफ्तारियाँ भी हुईं। क्यूबा में रविवार को कोरोना के 6900 नए नए मामले सामने आए और 47 मौतें दर्ज की गईं। देश में वर्तमान में दो टीके हैं और बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।

बता दें कि क्यूबा की अर्थव्यवस्था अधिकांशत: पर्यटन पर निर्भर करती है। वहीं, खाद्य, ईंधन और कृषि व विनिर्माण के लिए उपकरण का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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