कतर की अदालत ने भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को कथित तौर पर जासूसी के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। अब फाँसी की सजा बदल दी गई है। इन्हें अब फाँसी नहीं होगी। हालाँकि, ये नहीं पता चल पाया है कि अभी उन्हें कितनी सजा दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीति ने अपना असर दिखाया है, जिसके कारण इस मामले में पीड़ित परिवारों को राहत मिली है।
किन्हें सुनाई गई थी फाँसी की सजा और क्यों?
कतर में भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को 30 अगस्त 2022 को दोहा से गिरफ्तार किया गया था। इन्हें गिरफ्तार करने का कारण कतर की सरकार ने आज तक नहीं बताया। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इन पूर्व सैनिकोें पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। ये सभी पूर्व अधिकारी कतर की राजधानी दोहा की अल दाहरा नाम की एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे।
जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें शामिल हैं- कमांडर पूर्णेन्द्रु तिवारी, कमांडर नवतेज सिंह गिल, कमांडर वीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और कैप्टन गोपाकुमार हैं। ये सभी पिछले 5 साल से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी में काम कर रहे थे।
यह कंपनी कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी देने का काम करती है। इस कंपनी को ओमानी एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल अजमी ने स्थापित किया था और वे इस कंपनी के सीईओ थे। इस मामले में खमीस को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कतर की सरकार ने उन्हें 18 नवंबर 2022 को ही रिहा कर दिया था।
इन सभी लोगों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट की जानकारी इजरायल को देने का आरोप लगाया था। कतर कोर्ट ने इन्हें 26 अक्टूबर 2023 को मौत की सजा सुना दी थी। इन सारी जानकारियों के बीच एक सवाल जो खड़ा होता है कि कतर की कोर्ट ने उन लोगों को कैसे बरी कर दिया, जिन्हें अब तक देश का दुश्मन समझ कर सीधे फाँसी पर लटकाने की कार्रवाई चल रही थी?
पीएम मोदी की एक मुलाकात, और…
भारत पर इन पूर्व अधिकारियों को बचाने का दबाव था। ऐसे में भारत सरकार कानूनी तौर पर इसे चुनौती दे रही थी। इसके साथ ही भारत डिप्लोमैटिक चैनल से भी बातचीत कर रहा था। नवंबर में जब इन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, तब तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी कि इन 8 लोगों के साथ क्या कुछ हो रहा है। फाँसी की सजा के बाद मामला दुनिया की नजर में आया।
भारत सरकार ने इन बंधकों के लिए कतर से कान्सुलर एक्सेस की माँग की। जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, ऐसे मामलों में कांसुलर एक्सेस (राजनयिक पहुँच) देना उस देश के लिए जरूरी हो जाता है, जहाँ दूसरे देश के नागरिक गिरफ्तार किए जाते हैं। भारत ने नवंबर माह में कांसुलर एक्सेस हासिल कर लिया और केस के बारे में पूरी जानकारी हासिल की।
राजनयिक चैनल से भारत सरकार सक्रिय थी ही, कानूनी पहलुओं पर भी विचार हो रहा था। भारत सरकार के सहयोग से इन पूर्व अधिकारियों ने कतर के उच्च न्यायालय में अपील दायर की। अपील स्वीकार होने के बाद सरकार कानूनी प्रक्रिया में लग गई। इधर, भारत कतर पर राजनयिक दबाव भी बढ़ाता जा रहा था।
इस बीच, दिसंबर माह के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात हुई। पीएम मोदी COPE28 की बैठक में भाग लेने दुबई गए थे। इस मुलाकात के चार सप्ताह के भीतर ही फाँसी की सजा पलट गई। सुनवाई के समय कोर्ट में में भारत के राजदूत का मौजूद होना बताता है कि पीएम मोदी इस मामले को लेकर कितनी गंभीर थी।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में बताया है कि सभी 8 पूर्व नौसैनिकों की फाँसी की सजा टल गई है। विदेश मंत्रालय ने बताया, “हम दहरा ग्लोबल मामले में अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ निकट संपर्क में हैं। कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ अपीलीय अदालत में उपस्थित थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े रहे हैं।”
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा, “हम सभी को (कतर की अदालत में बंद 8 पूर्व नौसैनिकों को) कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे। इस मामले की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।”
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने एएनआई से बातचीत में कहा, “कतर की अदालत का फैसला वास्तव में पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी राहत है। हालाँकि कितनी सजा हुई है, इस बात की जानकारी मिलने तक इंतजार करना होगा। लेकिन, हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जो भी सजा होगी, वह सजा शायद कम भी की जा सकती है।”
सचदेव ने आगे कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि इसमें कूटनीति ने बड़ा काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में कतर के अमीर से मिले थे और उन्होंने जरूर ये मुद्दा कतर के अमीर के सामने उठाया होगा।” बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीएम मोदी के निर्देश के बाद इस मामले में हर कूटनीतिक दाँव-पेंच का इस्तेमाल किया।
#WATCH | Delhi: Qatar court commutes death sentence 8 Indian ex-Navy personnel | Robinder Sachdev, Foreign Expert, says, "The judgment by the Qatari court is indeed a huge, huge relief for the families in India. At the same time, there is still some distance ahead because what… pic.twitter.com/FbW9CfYwgq
— ANI (@ANI) December 28, 2023
वाइस एडमिरल अनिल चावला (सेवानिवृत्त) ने कहा, “यह खबर (फाँसी की सजा रुकने की) पूरे देश के साथ-साथ नौसैनिक समुदाय के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई है। हम मृत्युदंड को कम करने के लिए कतर के अमीर के आभारी हैं और साथ ही भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के लिए भी आभारी हैं। हमें उम्मीद है कि अधिकारियों को जल्द से जल्द रिहा कर भारत वापस भेजा जाएगा।”
#WATCH | Qatar court commutes death sentence 8 Indian ex-Navy personnel | Vice Admiral Anil Chawla (retd.) says, "This news has come as a huge relief to the entire country as well as the naval community… We are grateful to the Emir of Qatar for having commuted the death… pic.twitter.com/z1PMpBxLLW
— ANI (@ANI) December 28, 2023
ये आज का भारत है
कतर में आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को फाँसी के फंदे से बचाना हो, यूक्रेन युद्ध को रुकवाकर हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना हो या फिर गाजा-इजरायल से भारतीयों को वापस लाना हो, सूडान से भारतीयों को सुरक्षित भारत लाना हो या फिर मानव तस्करी के आरोप में फ्रांस में रोके गए 303 भारतीयों में से 280 को भारत वापस लाना हो… ये भारत सरकार की बढ़ती ताकत का प्रतीक है।
आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। हर समस्या का समाधान पाने के लिए दुनिया भारत की ओर देखती है। रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने की गुहार हो, वैक्सीन पाने की लालसा हो या हमास-इजरायल युद्ध… हर तरफ से भारत से हस्तक्षेप की गुजारिश की जाती है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि देश की कमान उस नरेंद्र मोदी के हाथों में है, जो राष्ट्र प्रथम की अवधारणा के दम पर भारत का मस्तक पूरी दुनिया में ऊँचा उठाए हुए हैं। तभी तो रूस हो या अमेरिका, सभी भारत के साथ सहयोग की भावना लेकर चलते हैं। यही तो आज का भारत है, जो दूसरों की दिखाई राह पर चलने की जगह खुद के बनाए रास्ते पर निडरता से आगे बढ़ रहा है।