Friday, March 14, 2025
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयमहिलाओं की ड्राइविंग के लिए आवाज उठाने वाली एक्टिविस्ट को आतंकवाद सम्बन्धी धाराओं में...

महिलाओं की ड्राइविंग के लिए आवाज उठाने वाली एक्टिविस्ट को आतंकवाद सम्बन्धी धाराओं में 6 साल की जेल

मानवाधिकार समूहों ने हाल ही में यह भी खुलासा किया था कि हथलौल सहित कुछ महिलाओं को महीनों तक एकांत कारावास में रखा गया और उन्हें बिजली के झटके दिए गए, उनके साथ मारपीट और यौन उत्पीड़न जैसे दुर्व्यवहार किए गए।

सऊदी अरब की एक अदालत ने महिला अधिकार कार्यकर्ता लुजैन अल-हथलौल (Loujain al-Hathloul) को सोमवार (दिसंबर 28, 2020) के दिन पाँच साल और आठ महीने की जेल की सजा सुनाई है। यह सजा ऐसे समय पर सुनाई गई है, जब तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों द्वारा उनकी रिहाई के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

सऊदी मीडिया के अनुसार, अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता को ‘आतंकवाद विरोधी कानून द्वारा निषिद्ध विभिन्न गतिविधियों’ का दोषी ठहराया। हथलौल की दो साल और 10 महीने की सजा को निलंबित कर दिया गया है। हथलौल पर उस अदालत में मुकदमा चलाया जाए जो आतंकवादी मामलों को देखती है। सऊदी के अधिकारियों ने कहा कि हथलौल की गिरफ्तारी सऊदी के हितों को नुकसान पहुँचाने और विदेशों में शत्रुओं को समर्थन देने के संदेह में की गई थी।

वहीं, मानवाधिकार समूहों ने हाल ही में यह भी खुलासा किया था कि हथलौल सहित कुछ महिलाओं को महीनों तक एकांत कारावास में रखा गया और उन्हें बिजली के झटके दिए गए, उनके साथ मारपीट और यौन उत्पीड़न जैसे दुर्व्यवहार किए गए। हालाँकि, सऊदी अरब के अधिकारी इन तमाम आरोपों को फर्जी बता रहे हैं।

31 वर्षीय लुजैन अल-हथलौल को मई 2018 में सऊदी अरब द्वारा महिलाओं के ड्राइविंग करने पर लगाए गए दशकों पुराने प्रतिबंध को हटाने से कुछ हफ्ते पहले एक दर्जन अन्य महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था। उनमें से ज्यादातर महिलाएँ ड्राइव करने के अधिकार के लिए अभियान चला रहीं थीं। उन पर आतंकवाद सम्बन्धी आरोप लगे हैं।

सऊदी अरब दुनिया में अकेला देश हुआ करता था, जहाँ महिलाओं के गाड़ी चलाने पर पाबंदी थी। इस देश में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिए जाते। ऐसे में, गाड़ी चलाने वाली महिलाओं पर ज़ुर्माना लगता है और पुलिस उन्हें गिरफ़्तार कर लेती है।

सऊदी अरब की महिलाओं द्वारा इस रोक को हटाने के लिए कई अभियान चलाए गए। लुजैन अल-हथलौल को दिसंबर 01, 2014 में भी गाड़ी चलाकर देश की सीमा में घुसते वक्त गिरफ़्तार किया गया। आख़िरकार 73 दिनों की क़ैद के बाद लुजैन को रिहा कर दिया गया था।

सऊदी अरब में महिलाओं के ड्राइविंग के अधिकार के लिए पहली बार नवंबर, 1990 में 47 महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से विरोध किया था। उन्होंने इस कानून के विरोध में रियाद प्रांत की सड़कों पर गाड़ी चलाई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।

महिलाओं के आवाज उठाने के बाद वरिष्ठ इस्लामिक विद्वानों की परिषद ने फ़तवा तक जारी किया और महिलाओं के ड्राइविंग पर रोक लगा दी। इस फ़तवे में महिलाओं की ड्राइविंग करने को अशुभ और नकारात्मक परिणामों को आमंत्रण देने वाला बताया गया था। यहाँ तक कहा गया कि इस तरह महिलाओं की नजदीकी पुरुषों के साथ बढ़ेगी और वे विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित होंगी।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष सऊदी अरब में कैद लुजैन अल-हथलौल ने अपनी आजादी की पेशकश को अस्वीकार कर दिया था। उनके भाई ने बताया था कि हथलौल को एक वीडियो टेप में यह कहने की शर्त दी गई थी कि कैद के दौरान उन पर अत्याचार नहीं किया गया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सड़कों पर बिखरी लाशें, औरतों को नंगा कर घूमा रहे, डर से देश छोड़ भाग रहे लोग… इस्लामी हुकूमत में रहेगा सीरिया, अंतरिम राष्ट्रपति...

सीरिया में असद अल-बशर की सरकार का तख्तापलट के बाद वहाँ अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने इस्लामवादियों का शासन लागू कर दिया है।

होली का जश्न मना रहे हिंदुओं ने मस्जिद पर किया ‘हमला’: रत्नागिरी का जो Video दिखा प्रलाप कर रहे जुबैर-ओवैसी जैसे इस्लामवादी, उसकी हकीकत...

मोहम्मद जुबैर, असदुद्दीन ओवैसी और कुछ इस्लामी ग्रुपों ने दावा किया कि हिंदुओं ने मस्जिद पर हमला किया। ऐसा सबकुछ होली के जश्न के दौरान हुआ।
- विज्ञापन -