तेल उत्पादक सऊदी अरब की कंपनी सऊदी आरामको (Saudi Aramco) बुधवार (11 मई 2022) को दुनिया की सबसे अधिक मूल्यवान कंपनी बन गई। लगातार बढ़ती तेल की कीमतों के कारण कंपनी के शेयरों में जबर्दस्त तेजी देखी गई है। बुधवार को कंपनी की मार्केट वैल्यू 2.44 ट्रिलियन डॉलर (₹18,89,30,42,00,00,000) हो गई, जबकि पिछले महीने एप्पल के शेयरों में गिरावट देखी गई, जिससे इसकी वैल्यू 2.37 ट्रिलियन डॉलर (₹18,35,17,39,50,00,000) पर रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल के शेयरों की कीमतों में अब भले ही गिरावट दिख रही हो, लेकिन इस साल के शुरुआती तीन महीनों में कंपनी का प्रॉफिट उसकी उम्मीद से भी बेहतर था। हालाँकि, ऐसी आशंका है कि चीन में कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन में यह जून तिमाही के परिणामों में $ 4-8 बिलियन से कम हो जाएगा। इस मामले में एप्पल की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा गया है कि चीनी कंपनियाँ एप्पल्स के आईफोन के लिए चिप बनाती है, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण ये कंपनियाँ ठप पड़ी हैं और इसी कारण से एप्पल को चिप की आपूर्ति होने में खासी दिक्कतें हैं।
वहीं दूसरी ओर सऊदी आरामको के मुनाफे की बात करें तो पिछले साल इस कंपनी के मुनाफें में 124 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यह 2020 में 49.0 बिलियन डॉलर से 2021 में 110.0 बिलियन डॉलर की हो गई। इसके बाद यमन के विद्रोहियों ने कंपनी पर हमला कर दिया, जिसके कारण इसके उत्पादन में अस्थायी तौर पर गिरावट दर्ज की गई थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध का मिल रहा फायदा
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन में हो रही जंग के बीच दुनियाभर के देश रूस पर बैन लगा रहे हैं। ऐसे में सउदी अरब पर तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव बढ़ा है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और मॉस्को पर उसके बाद के प्रतिबंधों के कारण सऊदी पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव रहा है, जिसने वैश्विक ऊर्जा बाजारों को अस्थिर कर दिया। सऊदी आरामको के प्रेसीडेंड और सीईओ अमीन नासिर का कहना है कि जियो-पॉलिटिक्स के तनावों के कारण कंपनी का दृष्टिकोण अनिश्चित बना हुआ है।
हालाँकि, उनका कहना है कि आरामको लगातार कच्चे तेल का उत्पादन करना जारी रखेंगी। आशंका ये है कि जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, इससे महँगाई भी बढ़ेगी। फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
जनवरी में एप्पल बनी थी 3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी
उल्लेखनीय है कि इससे पहले इसी साल जनवरी के महीने में एप्पल की मार्केट वैल्यू 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 225 लाख करोड़ रुपए) पार कर गई थी। इस मामले में कंपनी से आगे केवल दुनिया के 4 देश थे। इन देशों के नाम अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं। हालाँकि अब कंपनी की मार्केट वैल्यू गिरी है जिसकी वजह से सऊदी के कंपनी नंबर 1 हो गई।