शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भाग लेने इस्लामाबाद पहुँचे भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्य जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन को धोकर रख दिया है। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने पाकिस्तान-चीन के चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट के कारण भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते।
चीन या पाकिस्तान का नाम लिए बिना विदेश मंत्री ने कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने की जरूरत है। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने SCO बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि पाकिस्तान शांति, सुरक्षा और सामाजिक, आर्थिक तरक्की चाहता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के साथ व्यापार नहीं हो सकता। सीमा का सम्मान करना ही होगा।
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आपसी विश्वास में कमी आई है या फिर पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है… अगर दोस्ती में गिरावट आई है और अच्छे पड़ोसी की कमी महसूस हो रही है तो इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान-चीन के CPEC प्रोजेक्ट की वजह से भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का भी मुद्दा उठाया।
जयशंकर ने कहा ने कहा कि SCO का मकसद पूरा करने के लिए आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना जरूरी है। इसके लिए एक-दूसरे पर भरोसा और ईमानदारी की जरूरत है। उन्होंने कहा, “इसके लिए ईमानदार बातचीत, विश्वास, अच्छे पड़ोसी और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। एससीओ को ‘तीन बुराइयों’ का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहने की आवश्यकता है।”
Delivered 🇮🇳’s national statement at the SCO Council of Heads of Government meeting today morning in Islamabad.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 16, 2024
SCO needs to be able and adept at responding to challenges facing us in a turbulent world. In this context, highlighted that:
➡️ SCO’s primary goal of combatting… pic.twitter.com/oC2wHsWWHD
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन आज की वास्तविकताएँ हैं। SCO देशों को इसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए और एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा, “हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को ही चुनेंगे तो SCO प्रगति नहीं कर सकता। SCO औद्योगिक सहयोग प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है और श्रम बाजारों का विस्तार कर सकता है। MSME सहयोग, संपर्क, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई संभव रास्ते हैं। चाहे स्वास्थ्य हो, भोजन हो या ऊर्जा सुरक्षा, हम स्पष्ट रूप से एक साथ काम करके बेहतर हैं।”
बता दें कि SCO की इस बैठक में आठ सदस्य देशों के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, भारत की ओर से विदेश मंत्री और ईरान के व्यापार मंत्री बैठक में शामिल हो रहे हैं। बैठक में पहले ईरान के उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा आसिफ शामिल होने वाले थे, लेकिन आखिरी वक्त में उनका पाकिस्तान आने का प्रोग्राम टल गया।