सुन्नी बहुल पाकिस्तान में शिया-विरोधी हमलों में काफी वृद्धि हुई है। 6 सितंबर को पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के कोहाट शहर में एक दुकानदार को अज्ञात बदमाश ने सरेआम गोली मार दी।
मृतक की पहचान क़ैसर अब्बास के रूप में की गई है। वह शिया समुदाय से था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए सीसीटीवी फुटेज में एक हमलावर दुकान में घुसता है और अब्बास पर पॉइंट-ब्लैंक रेंज के बंदूक से फायर करता है। गोली लगने से वह अपनी कुर्सी से गिर जाता है। वहीं दुकान के बाहर मौजूद ग्राहक भागते हुए दिखाई दे रहे है।
CCTV footage of assassination of #Shia shopkeeper Qaisar Abbas in Kohat, KP province. No claim of responsibility yet, but the likely culprits are members of local #Deobandi militant outfits or their splinters. pic.twitter.com/M9JNShnW16
— SAMRI (@SAMRIReports) September 7, 2020
बता दें, अभी तक किसी भी समूह ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। हत्या के पीछे स्थानीय देवबंदी प्रायोजित आतंकवादी संगठनों की भूमिका संदिग्ध है। मृतक की तस्वीर सामने आई है। जिसमें उसका शव स्ट्रेचर पर खून से लथपथ दिखाई दे रहा है। इंटरनेट पर यह तस्वीर काफी वायरल भी हो रही है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को हज़ारों की तादाद में सुन्नी कट्टरपंथी समूहों ने कराची की सड़कों पर शिया विरोधी आन्दोलन किया। इस्लाम के दो वर्गों के बीच इतने बड़े पैमाने पर तनाव पैदा होने पर हिंसा की घटनाओं का ख़तरा भी बढ़ गया था। हाल ही पाकिस्तानी शिया नेता ने कथित तौर पर मुहर्रम जुलूस के सीधे प्रसारण के दौरान ऐतिहासिक इस्लामिक चेहरों पर अनैतिक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के चलते उस शिया नेता पर ईशनिंदा का आरोप लगा था जिसके विरोध में सुन्नी समुदाय के हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे थे।
विरोध प्रदर्शन मोहम्मद अली जिन्नाह की मज़ार ‘मज़ार-ए -कायद’ के पास शुरू हुआ था। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले कट्टरपंथी सुन्नी तमाम शिया विरोधी समूहों से जुड़े हुए थे। इसमें सिपाह-ए-सहाबा और तहरीक लब्बाइक पाकिस्तान मुख्य थे। यह सभी समूह शिया समुदाय के लोगों को काफ़िर मानते हैं। ख़बरों की मानें तो सिपाह-ए-सहाबा ने पिछले कुछ समय में पाकिस्तान के भीतर सैकड़ों शिया समुदाय वालों की हत्या की थी।
इन विरोध प्रदर्शनों के तमाम वीडियो भी सामने आए हैं। ऐसे ही एक वीडियो में सुन्नी कट्टरपंथी बसों को रोकते हुए, झंडे फहराते हुए और शिया विरोधी नारे लगाते हुए देखे जा सकते हैं। लगाए गए तमाम नारों में एक नारा था ‘काफ़िर काफ़िर शिया काफ़िर।’