इजरायल और हमास के बीच दो सप्ताह से चल रहे युद्ध के बीच एक्टिविस्ट सलवान मोमिका (Salwan Momika) ने कुरान पर पैर रखकर और इजरायली झंडा लहराकर यहूदी राष्ट्र के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
यह घटना शनिवार (21 अक्टूबर, 2023 ) को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई। स्वीडन में रहने वाले इराकी शरणार्थी सलवान मोमिका को भी इजरायली झंडे को चूमते और कुरान की एक प्रति को अपने पैर से रौंदते देखा गया।
घटना का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
Idag förklarar jag min solidaritet med det stora #Israel#Stockholm #salwan_momika #سلوان_موميكا pic.twitter.com/3m8577g5Io
— Salwan momika (@salwan_momika1) October 21, 2023
एक दिन पहले ही शुक्रवार (20 अक्टूबर, 2023) को सलवान मोमिका ने घोषणा की थी, “कल मैं इजरायल का झंडा उठाऊँगा, इजरायल के साथ अपनी एकजुटता की घोषणा करूँगा और स्टॉकहोम में कुरान और फिलिस्तीनी झंडे को जलाऊँगा।”
Imorgon kommer jag att hissa den israeliska flaggan, förklara min solidaritet med Israel och bränna Koranen och den palestinska flaggan i Stockholm.🌺🇮🇱❤️ pic.twitter.com/qWQtg1R8tM
— Salwan momika (@salwan_momika1) October 20, 2023
गौरतलब है कि इस साल 28 जून को स्वीडिश पुलिस ने इराकी शरणार्थी को स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के बाहर एक प्रदर्शन में कुरान जलाने की अनुमति दी थी। यह घटनाक्रम ईद-अल-अधा से पहले सामने आया था जब स्वीडिश अदालत ने कुरान जलाने वाले प्रदर्शनों पर पुलिस के प्रतिबंध को हटा दिया था।
परिणामस्वरूप, यमन में हूती विद्रोहियों ने स्वीडन से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। हूती विद्रोहियों द्वारा संचालित टीवी चैनल अल मसीरा ने व्यापार मंत्री के हवाले से कहा, “यमन पहला इस्लामिक देश है जिसने मुस्लिमों के पाक किताब के अपमान के बाद स्वीडिश सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।”
उन्होंने अन्य इस्लामिक देशों से भी इस स्कैंडिनेवियाई देश से आयात पर प्रतिबंध लगाने की अपील की। हालाँकि, हूती व्यापार मंत्री ने कहा कि स्वीडन से आयात सीमित था और प्रतिबंध का एक प्रतीकात्मक मूल्य ही था। उन्होंने यह भी कहा कि कुरान जलाने के विरोध में यह सबसे छोटी चीज थी जो वे कर सकते थे।
इससे पहले जनवरी 2023 में डेनिश राजनेता रासमस पालुदान (Rasmus Paludan) ने भी देश की राजधानी में तुर्की दूतावास के बगल में कुरान की एक प्रति जला दी थी, जिससे तुर्की को अपनी नाटो सदस्यता के बारे में स्वीडन के साथ चर्चा रोकनी पड़ी थी।