Monday, November 18, 2024
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तालिबान खोलने जा रहा है वो मंत्रालय जो देगा शरिया कानून वाली सजा: हत्या के बदले हत्या, चोरी के बदले काटे जाएँगे हाथ

अब मोरल पुलिस हर सड़क पर तैनात होगी ताकि उल्लंघनकर्ताओं को सजा दी जा सके। इन सजाओं में कोड़े, बेंत, अंगों को काटने या सजा-ए-मौत देने का अधिकार होगा।

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बनने के बाद अब तालिबान का और भयावह चेहरा देखने को मिल सकता है। खबरें है कि तालिबान अपना सदाचार मंत्रालय (Ministry of Vice and Virtue) दोबारा चालू करने की दिशा में काम कर रहा है जिसे अमेरिका के हमले के बाद बंद कर दिया गया था। संभव है कि मोहम्मद खलील इसका प्रमुख बने। ये वही मंत्रालय है कि जो शरिया कानून के तहत सजा मुकर्रर करेगा। इन सजाओं में चोरी करने पर हाथ काटने और अवैध संबंध बनाने पर पत्थर से मारने की बातें हैं।

न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक, अफगानिस्तान के सेंट्रल जोन के प्रमुख 32 वर्षीय मोहम्मद युसूफ ने बताया कि तालिबान अब सख्त शरिया कानून लागू करेगा। युसूफ के मुताबिक, 

“हम शरिया कानून के तहत सजा देंगे। जो भी इस्लाम में कहा गया है हम उसके हिसाब से सजा मुकर्रर करेंगे। इस्लाम में बड़े अपराधों के लिए अपने नियम हैं। जैसे किसी की हत्या करने वाले के लिए अलग नियम हैं। अगर आपने जानबूझ कर मारा तो आपको भी मारा जाएगा। अगर ये काम जान कर नहीं हुआ तो अलग सजा होगी जैसे कुछ रुपयों का जुर्माना। अगर चोरी हुई तो हाथ काट दिया जाएगा। अगर अवैध संबंध बने तो पत्थरों से मारा जाएगा।”

युसूफ ने कहा, “हम एक शांतिपूर्ण देश चाहते हैं जहाँ इस्लामी नियम और कानून चलें। शांति और इस्लाम का शासन ही सिर्फ हमारी इच्छा है।”

बता दें कि तालिबान के पिछले शासन में महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य था और बिन पुरुषों के वह घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं। नमाज का समय सख्ती से लागू था। पुरुषों को दाढ़ी बढ़ाना जरूरी था। ऐसे ही अब मोरल पुलिस हर सड़क पर तैनात होगी ताकि उल्लंघनकर्ताओं को सजा दी जा सके। इन सजाओं में कोड़े, बेंत, अंगों को काटने या सजा-ए-मौत देने का अधिकार होगा। वैसे इन सजाओं के उदाहरण अभी से काबुल की सड़कों पर देखने को मिलने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि मोहम्मद युसूफ ने 9वीं क्लास आम स्कूल में पढ़ाई की है। इसके बाद वह 13 सालों तक इस्लाम पढ़ता रहा। अब वह इस्लामी ज्ञान का प्रचार करता है। युसूफ ने दावा किया कि उसने कभी मिलिट्री ट्रेनिंग नहीं ली और ना ही आज तक बंदूक चलाई। उसके मुताबिक, “हम (तालिबान) देश में शांति चाहते हैं, जिसके लिए इस्लामी नियम-कायदे बेहद जरूरी हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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