अफ़ग़ानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर चुके तालिबान ने अब फिर से अपना क्रूर चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। अफ़ग़ानिस्तान के 22 कमांडो को तालिबान ने क्रूरता से मार डाला। इस नरसंहार का वीडियो भी सामने आया है। इन जवानों ने तालिबान के सामने आत्म-समर्पण कर दिया था और वो निहत्थे थे, लेकिन आतंकियों ने उनकी एक न सुनी। उन्होंने ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगाते हुए सभी को मार डाला।
ये घटना उत्तरी फरयाब प्रांत के दौलताबाद की है। 16 जून, 2021 को ये घटना हुई थी। अफगानिस्तान की सरकार ने अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित कुछ चुने हुए जवानों को शहर पर फिर से कब्ज़ा करने के लिए भेजा था, जिसमें एक पूर्व जनरल का बेटा भी शामिल था। लेकिन, उन्हें तुरंत ही घेर लिया गया। उनके लिए हवाई सपोर्ट या फिर अतिरिक्त टुकड़ी भी नहीं आई। आतंकियों का कहना था कि सैनिकों के पास गोला-बारूद और हथियार खत्म हो गए थे, जिसके बाद वो पकड़े गए।
लेकिन, वीडियो से पता चला है कि असल में निहत्थे जवानों को क्रूरता से मारा गया। सभी 22 जवानों को हाथ खड़े कर के सड़क पर चलने को कहा गया, फिर ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई। तालिबान ने सरकारी सशस्त्र बलों को अपने-अपने बेस खाली करने को कहा है और वादा किया है कि वो उन्हें घर जाने के लिए सुरक्षित रास्ता देगा। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना हटा ली है और जो बचे-खुचे वहाँ हैं, उन्हें भी वापस बुलाया जा रहा है।
लोगों में खौफ पैदा करने के लिए बीच चौराहे पर इस घटना को अंजाम दिया गया। कइयों को तो जमीन पर घुटनों के बल झुकने के लिए मजबूर किया गया, फिर उनकी हत्या की गई। इस दौरान कुछ लोग मिन्नतें भी कर रहे थे कि उनकी हत्या न की जाए। पश्तो भाषा में कुछ लोग कहते दिख रहे हैं, “उन्हें मत मारो। मैं विनती करता हूँ, उन्हें छोड़ दो।” फिर दो गोलियों की आवाज़ आती है और दर्जनों राउंड फायरिंग की जाती है।
साथ ही तालिबानी ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे भी लगा रहे होते हैं। एक अन्य वीडियो में इस नरसंहार के बाद सड़क पर लाशें पड़ी हुई दिखती हैं। साथ ही उन लाशों के कपड़ों में से भी तालिबान ने अपने काम की चीजें निकाल लीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि ये कमांडो बख्तरबंद गाड़ियों में आए थे और 2 घंटे तक तालिबान के साथ इनकी लड़ाई चली, पर अंत में इनके पास संसाधन ही नहीं बचे थे।
उनके समर्थन के लिए पीछे से कोई टुकड़ी नहीं आई क्योंकि अन्य जवान व अधिकारी इस बात से डरे हुए थे कि तालिबान को उनकी गुप्त योजना का पता चल गया है और वहाँ जाने पर उन सभी को भी मार डाला जाएगा। एक अधिकारी का कहना था कि अन्य अधिकारियों ने इन जवानों को धोखा दिया। मृतकों में एक शोहराब आजमी भी थे, जो जो रिटायर्ड अफगान जनरल हाजिर आजमी के बेटे थे।
CNN reports 22 #Afghan commandos, who were killed by the #Taliban in #Faryab last month, were executed after they surrendered. Disturbing video shows they all walked out out, their hands raised high, then gunfires&chants of “Allah Akbar,” were heard, seconds later all were dead. pic.twitter.com/VigUVfQX6L
— Sharif Hassan (@MSharif1990) July 13, 2021
हाजिर आजमी को तालिबान के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा स्तंभ माना जाता था। तालिबान का दावा है कि 24 कमांडो अब भी उसकी कैद में हैं। तालिबान फिर से अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने की राह पर है। तालिबान 85% अफगानिस्तान पर कब्जे का दावा कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने जानबूझ कर ग्रामीण इलाकों से सेना हटा ली है, ताकि शहरी क्षेत्रों पर फोकस रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान ने मुल्क के 30% हिस्से पर कब्ज़ा जमाया है। अगर शहरों में कब्ज़ा के लिए निकले तालिबान को सरकारी बल नेस्तनाबूत कर देते हैं तो तालिबान फिर से वार्ता की टेबल पर आने को मजबूर हो जाएगा और शांति समझौता होगा। लेकिन, तालिबान की जीत होती है तो काबुल से सरकार उखड़ जाएगी। UN ने शरणार्थी समस्या पैदा होने की भी आशंका जताई है। 90 के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान का राज हुआ करता था।