अफगानिस्तान पर तालिबानी शासन को आज (15 सितंबर 2021) एक माह ही पूरा हुआ है कि अभी से खबरें आ रही हैं कि तालिबान में अंदरुनी गुटबाजी के कारण खट-पट शुरू हो गई है। सरकार में जगह पाते ही हक्कानी ग्रुप और मुल्ला बरादर आमने-सामने आ गए हैं। सत्ता के बँटवारे के अलावा विवाद का कारण ये है कि दोनों ही अपने आप को इस बात का श्रेय देना चाहते हैं कि उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिका को भगाया था।
दोनों गुटों के बीच झगड़ा अंतरिम सरकार के ऐलान के समय हुआ। रिपोर्ट्स बताती हैं कि तालिबान के मुल्ला बरादर और खलील-उर-रहमान हक्कानी के बीच तीखी बहस हुई थी। इसके बाद दोनों के समर्थकों में भी विवाद हुआ था। मामला इतना बिगड़ गया था कि मारपीट भी शुरू हो गई जिसमें कई तालिबानी घायल हुए।
इस दौरान मुल्ला बरादर के चोटिल होने की खबरें भी आई थीं जिसके बाद उसकी मृत्यु के अनुमान लगने लगे। हालाँकि बरादर ने बाद में ऑडियो क्लिप जारी कर जानकारी दी कि वो जिंदा है। कथित तौर पर बरादर का यह भी दावा है कि यूएस के साथ हुई सारी डील का श्रेय उसे जाता है जबकि सिराजुद्दीन हक्कानी का कहना है कि इस जीत के पीछे उसका नेटवर्क और सशस्त्र लड़ाके थे जिनके कारण यह जीत संभव हुई।
अमेरिका पर हो सकता है हमला
बता दें कि एक ओर जहाँ अफगानिस्तान पर कब्जा पाने के बाद भी तालिबान में अंदरुनी गुटबाजी के कारण विवाद चल रहा है और सरकार पर खतरा बना हुआ है। उसी समय में खबर आई है अफगानिस्तान में तालिबानियों के आ जाने से अलकायदा का खतरा यूएस पर मंडरा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार अलकायदा दोबारा से अफगानिस्तान में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और संभव है कि वो इस जगह को बेस बना कर एक साल या दो साल में अमेरिका पर हमला बोले। डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने मंगलवार (14 सितंबर) को एक खुफिया सम्मेलन में कहा, “मौजूदा आंकलन कहता है कि अलकायदा को हमारे होमलैंड पर हमला करने के लिए व खुद को सक्षम बनाने में एक या दो साल का वक्त लगेगा।”
उन्होंने ये भी कहा, “हम सभी प्रकार के स्रोतो और पहुँच के साथ अफगानिस्तान में वापस पहुँच प्राप्त करने के रास्ते के बारे में सोच रहे हैं… हम प्रयासों को प्राथमिकता दे रहे हैं और हमारी ये प्राथमिकता जारी रखेगी। लेकिन साथ ही ऐसे खतरनाक संसाधनों को बैलेंस रखने के लिए सतर्क रहना जरूरी है।”
अलकायदा की मंशा पर इससे पहले डिफेंस सेक्रेट्री लॉयड ऑस्टिन ने एक सीनेट कमिटी में भी कहा था कि कम से कम दो साल लगेंगे अलकायदा को इतना सक्षम होने में कि वो हमला कर सके। वहीं सीआईए के उप निदेशक डेविड कोहेन ने कहा, अमेरिका ने पहले ही अफगानिस्तान में अलकायदा की हरकतों का पता लगा लिया है। हालाँकि उन्होंने कहा कि ये बताना मुश्किल है कि वह कब तक हमला करने के लिए तैयार हो जाएगा।
इससे पहले कई खुफिया एक्सपर्ट्स भी कई बार चेतावनी दे चुके हैं कि तालिबान के अल कायदा से संबंध हैं और वो यूएस पर हमला करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है। मगर, नेशनल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर एवरिल हेन्स का कहना है कि अमेरिका को सबसे ज्यादा खतरा विदेशी आतंकियों से है, जो यमन, सोमालिया, सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से आते हैं। लेकिन अमेरिकी फौजों के दो दशक तक अफगानिस्तान में रहने से वह इस लिस्ट में सबसे नीचे है। उनका फोकस बाकी के देश होने चाहिए।