14 अक्टूबर यानी कल से पेरिस में शुरू होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक पर पूरी दुनिया की नजर है। कहा जा रहा है पाक के लिए ये 24 घंटे तनावभरे होंगे। क्योंकि, मुमकिन है कल की बैठक के बाद उसे आतंकियों को पनाह देने के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए।
अगर उसे FATF के इस फैसले से बचना है तो साबित करना होगा कि उसने आतंकी फंडिग और मनी लॉन्ड्रिंग के साथ आतंकियों और उनके संगठनों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। अगर वह ये सब चीजें बैठक में साबित करने में नाकाम रहता है तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जून 2018 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। इस दौरान उसे 27 बिंदुओं के एक्शन प्लान पर काम करने के लिए एक साल का समय दिया गया था। इन बिंदुओं में धन-शोधन और आतंकी संगठनों की फाइनेंस को बैंकिंग एवं नॉन बैंकिंग, कॉरपोर्रेट व नॉन कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे। अब बैठक में इसकी अनुपालन रिपोर्ट को ही पाक के आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर के सामने जाँचा जाएगा। जिसकी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार खुद सूत्रों ने दी है।
FATF के मुताबिक अगर पाकिस्तान 27 बिंदुओं के प्लॉन को लागू करने में नाकाम रहता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। यहाँ जानने वाली बात है कि अगस्त 2019 में एशिया पैसिफिक जॉइंट ग्रुप ने पाकिस्तान को इन बिंदुओं पर काम करने में फेल पाया था। लेकिन फिर भी पाकिस्तान अपने मीडिया रिपोर्टों में दावा कर रहा है कि उनका मुल्क ब्लैकलिस्ट होने से बच जाएगा।
मीडिया खबरों के अनुसार पाकिस्तान बैंकॉक की बैठक को लेकर गंभीर तनाव में हैं। क्योंकि इसमें वह 27 बिंदुओं के एक्शन प्लॉन में से केवल 6 पर ही खरा उतरा है। इसलिए उसपर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा और गहरा गया है। वहीं बता दें कि तकनीकी अनुपालन ने भी पाकिस्तान को 40 में से 10 प्वॉइंट्स में संतोषजनक पाया था। लेकिन 30 में पाकिस्तान जीरो था तो वहीं 10 महत्तवपूर्ण मानकों पर पाकिस्तान की स्थिति सो-सो थी।