अटलांटिक काउंसिल का डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (DFRL) 40 हजार ट्विटर अकाउंट सेंसर करवाना चाहता था। इस लैब को अमेरिकी सरकार से फंड मिलता है। स्वतंत्र पत्रकार और लेखक मैट टैबी (Matt Taibbi) ने अपने ट्विटर फाइल्स के नए संस्करण में इसका खुलासा किया है। इन अकाउंट्स को हिंदू राष्ट्रवाद और विशेष तौर पर बीजेपी से जुड़ा बताते हुए DFRL ने कार्रवाई को कहा था।
DFRL ने इन अकाउंट्स को बैन या शैडो बैन करने के लिए ट्विटर को ईमेल भेजा था। इससे DFRL की बीजेपी और राष्ट्रवादियों के प्रति घृणा का पता चलता है। टैबी ने दावा किया है कि वर्ष 2021 में डीएफआरएल के मैनेजिंग एडिटर एंडी गारविन ने 40 हजार भारतीय ट्विटर हैंडल्स की लिस्ट जारी कर उन पर भाजपा के वर्कर या पेड कर्मचारी होने और हिंदू राष्ट्र के समर्थक होने का आरोप लगाते हुए बैन या शैडो बैन (पहुँच कम करना) करने की माँग की थी।
2. On June 8, 2021, an analyst at the Atlantic Council’s Digital Forensic Research Lab wrote to Twitter:
— Matt Taibbi (@mtaibbi) March 2, 2023
“Hi guys. Attached you will find… around 40k twitter accounts that our researchers suspect are engaging in inauthentic behavior… and Hindu nationalism more broadly.” pic.twitter.com/0RpK3kyhHC
टैबी के अनुसार लिस्ट में कुछ ऐसे अमेरिकियों के भी नाम थे, जिनमें से कई का भारत से कोई संबंध नहीं था और भारतीय राजनीति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि ट्विटर ने उस वक्त इन अकाउंट्स पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। ट्विटर उस वक्त के ट्रस्ट एंड सेफ्टी प्रमुख योएल रोथ ने यह कहते हुए ट्विटर अकाउंट्स पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि अकाउंट वास्तविक लोगों के हैं।
3. DFRLab said it suspected 40,000 accounts of being “paid employees or possibly volunteers” of India’s Bharatiya Janata Party (BJP).
— Matt Taibbi (@mtaibbi) March 2, 2023
But the list was full of ordinary Americans, many with no connection to India and no clue about Indian politics. https://t.co/B5L8KsY6ZH pic.twitter.com/vqijzp9BR2
40 हजार की लंबी लिस्ट में से ऑपइंडिया को 66 ऐसे भारतीयों के अकाउंट की जानकारी मिली है, जिस पर अमेरिकी वित्त पोषित संस्था द्वारा कार्रवाई की माँग की गई थी। इनमें अशोक गोयल, बेबी कुमारी बीजेपी, कपिल मिश्रा, किशोर अजवानी, नवीन कुमार जिंदल, पीयूष गोयल ऑफिस, तजिंदर पाल सिंह बग्गा जैसे भाजपा कार्यकर्ता और राष्ट्रवादियों के नाम शामिल हैं।
7. DFRLab is funded by the U.S. Government, specifically the Global Engagement Center (GEC).
— Matt Taibbi (@mtaibbi) March 2, 2023
Director Graham Brookie denies DFRLab it uses tax money to track Americans, saying its GEC grants have “an exclusively international focus.”
दिलचस्प बात यह है कि डीएफआर लैब वाराणसी हवाई अड्डे (@AAIVNSAIRPORT), उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई विभाग (@upmsme) और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी सेंसर करने की माँग कर रहा था। बता दें अमेरिकी विदेश विभाग की इकाई के रूप में सूचीबद्ध DFR Lab को अमेरिकी सरकार और ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर (GEC) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। GEC को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के अंतिम वर्षों में बनाया गया था।