एक हालिया अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चीन में कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि से हफ्तों पहले ही ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ के कई शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चीन ने कहा था कि वुहान में कोरोना का पहला मामला 8 दिसंबर 2020 को सामने आया था। लेकिन इस अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक वुहान लैब के तीन शोधकर्ता उससे पहले ही नवंबर 2019 में बीमार पड़ गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस रिपोर्ट से मिली जानकारी से कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर जारी बहस तेज हो सकती है।
हालाँकि, खुफिया विभाग को अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि हकीकत में शोधकर्ता किस कारण से बीमार हुए थे। नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के निदेशक ने कहा, “खुफिया समुदाय को ठीक से पता नहीं है कि कोविड -19 वायरस कहाँ से कब या कैसे फैला था।”
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी का पता लगाने के लिए की जा रही जाँच में शीर्ष पर रही हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य को इस मामले में पिछले सप्ताह एक ब्रीफिंग मिली थी। कई वर्तमान और पूर्व खुफिया अधिकारी इस बात को मानते हैं कि कोरोना वायरस गलती से वुहान की लैब से निकला था। हालाँकि इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
ट्रंप ने भी किया था चीनी लैब में शोधकर्ताओं के बीमार पड़ने का दावा
खास बात यह है कि जनवरी, 2021 में ट्रम्प प्रशासन ने भी कहा था कि वुहान लैब के शोधकर्ता 2019 में सर्दियों से पहले बीमार हो गए थे। हालाँकि, उनके अस्पताल में भर्ती होने की बात नहीं कही गई थी। लेकिन, चीन इस तरह की किसी भी प्रकार की रिपोर्ट का विरोध करता रहा है। लेटेस्ट रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना के लक्षणों वाला पहला मरीज 8 दिसंबर, 2019 को ही वुहान में रजिस्टर किया गया था।
ट्रम्प के प्रशासन के समाप्त होने से ठीक पहले, पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से वायरस के लीक होने की संभावना जताई थी।
एक फैक्ट शीट दिखाते हुए पोम्पिओ ने दावा किया था कि अमेरिका के पास वुहान लैब के शोधकर्ताओं के 2019 में कोरोना के लक्षणों के साथ बीमार पड़ने के पुख्ता सबूत थे और लैब में मिलिट्री रिसर्च के भी सबूत थे।
वुहान लैब के डायरेक्टर ने अमेरिकी रिपोर्ट का किया खंडन
चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में कर्मचारियों के बीमार होने की अमेरिकी रिपोर्ट का वुहान वायरोलॉजी लैब के डायरेक्टर ने युआन झिमिंग ने खंडन किया है। ग्लोबल टाइम्स को झिमिंग ने बताया, “मैंने इसे पढ़ा है, यह पूरी तरह से झूठा है।” युआन ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, “वे दावे निराधार हैं। लैब को इस स्थिति के बारे में पता नहीं है कि 2019 की शरद ऋतु उसके रिसर्चर बीमार पड़े थे। मुझे यह भी नहीं पता कि ऐसी जानकारी कहाँ से आई है।”
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का निष्कर्ष
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले महीने SARS-CoV-2 वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें इस बात को असंभव बताया गया था कि वायरस लैब में पैदा हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी एक और संभावना है कि यह वायरस जानवरों के तालाबों से फैला हो और उसके बाद इंसानों में इसका संक्रमण शुरू हुआ हो।
ध्यान देने वाली बात ये है कि चीन ने रॉ डेटा नहीं दिया था जिसे खुद डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने स्वीकार किया था। उन्होंने कहा था, “टीम के साथ मेरी चर्चा में, उन्होंने रॉ डेटा तक पहुँचने में आने वाली कठिनाइयों को व्यक्त किया। मुझे उम्मीद है कि भविष्य के सहयोगी अध्ययनों में समय पर और अधिक व्यापक डेटा साझाकरण शामिल होगा।”
हालाँकि, कम से कम 14 देशों ने WHO के अध्ययन की अवहेलना करते हुए कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए निर्णायक तौर पर वैज्ञानिक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है।
वुहान लैब में सैन्य अनुसंधान
इससे पहले ऑप इंडिया ने ये खबर प्रकाशित की थी कि किस तरह से सरकार के इशारे पर चीन में 9 साल पहले नए वायरस को पैदा करने और उसकी जाँच करने और बीमारी फैलाने के लिए जिम्मेदार जीव विज्ञान के “डार्क मैटर” का खुलासा करने की योजना शुरू की गई थी।
चीन की इस परियोजना की अध्यक्षता पाँच नेताओं ने की थी, जिनमें एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी काओ वुचुन भी शामिल थे, जो जैव आतंकवाद पर सरकारी सलाहकार भी थे। वुचुन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मिलिट्री मेडिकल साइंस एकेडमी के रिसर्चर्स में से एक हैं। वह मिलिट्री साइंटिस्ट के साथ मिलकर काम करते थे। इसके अलावा वुचुन मिलिट्री बायोसेफ्टी विशेषज्ञ कमेटी के निदेशक भी हैं।
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी सेना ने वैश्विक स्तक पर दबदबा कायम करने के लिए वैज्ञानिकों की भर्तियाँ की हैं।