कीर्तिवर्धन भागवत झा आज़ाद। इतना लंबा नाम किसे याद रहेगा भला! लोग कीर्ति आज़ाद बोलकर ‘मुक्ति’ पा लेते हैं। बिहार में एक मुख्यमंत्री हुआ करते थे – भागवत झा आज़ाद। उन्हीं के बेटे हैं। लालू के बेटे की तरह इन्होंने भी क्रिकेट खेला। तेजस्वी IPL में पानी ढोने के लिए फेमस हुए। जबकि कीर्ति ने 1983 विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के इयान बॉथम का विकेट लेकर कीर्ति पाई थी। इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ और ख़ास किया, ऐसा गूगल भी नहीं बता पा रहा।
ख़ैर! कीर्तिवर्धन भागवत झा आज़ाद अपनी कीर्ति का वर्धन करने के ख्याल से राजनीति में आ घुसे। लेकिन अफसोस! क्रिकेट वाली गुगली ने उनका साथ राजनीति में भी नहीं छोड़ा। पहले दिल्ली में विधायक बने। अब तक तीन बार सांसदी भी जीत चुके हैं। लेकिन नेता वाला रुतबा या भौकाल बना पाए हों, ऐसा कभी ख़बरों में भी न देखा, न पढ़ा। सांसदी के बावजूद इनका वजूद छुटभैये नेता से कभी ऊपर न उठ सका। वज़ह ये खुद रहे।
- लक्ष्य – पता नहीं।
- पार्टी – पता नहीं।
- क्या बोलना है – पता नहीं।
ऊपर के तीन लक्षण इन्होंने क्रिकेट के फ़िल्ड से लेकर राजनीति के क्षेत्र तक हमेशा दिखाया – एकसमान दिखाया। राजनीति में जिस BJP के सहारे विधायकी से सांसदी तक का सफ़र तय किया, उसी के ख़िलाफ़ हमेशा झंडा (एजेंडा ज्यादा सटीक शब्द होगा वैसे) बुलंद करते रहे। अब नए-नए कॉन्ग्रेसी बने हैं। वैसे रगों में कॉन्ग्रेसी खून ही है। क्योंकि इनके पिताजी कॉन्ग्रेसी ही थे।
‘मैं आपके लायक हूँ’ – यह एक ब्रह्म वाक्य है। लेकिन सिर्फ उनके लिए जिन्हें स्वामी-भक्ति दिखानी होती है।
‘मैं आप ही के लायक हूँ’ – यह महा-ब्रह्म वाक्य है। लेकिन सिर्फ उनके लिए जिन्हें हद से ज्यादा स्वामी-भक्ति दिखनी होती है। इतनी ताकि ऐसा लगे कि पुराना वाला स्वामी लायक नहीं था।
बस, यहीं पर कीर्तिवर्धन भागवत झा आज़ाद ने झंडे गाड़ दिए। गाड़ा भी कहाँ – बिहार में अपने संसदीय क्षेत्र दरभंगा में। जहाँ की जनता ने पिछली बार उन्हें BJP सांसद के रूप में लोकसभा भेजा था, वहीं की जनता के सामने उन्होंने कॉन्ग्रेसी गुलामी कुबूल करते हुए स्वीकारा कि उनके पिताजी और खुद उनके लिए भी कॉन्ग्रेस के लोगों ने बूथ कब्जा किया था।
2019 में हम जी रहे हैं। लेकिन सांसद महोदय 90 के दशक से आगे बढ़ ही नहीं पा रहे। अभी की जनता, ख़ासकर युवाओं के सामने बूथ कब्जे की बात करके कीर्ति साहब न जाने कौन सी कीर्ति फैलाना चाहते हैं! शायद कॉन्ग्रेस को पता हो। या हो सके जिस बात से वो बाद में मुकर गए, सच में ऐसा किया-करवाया हो। जाँच होनी चाहिए। और अगर यह सच है तो जैसी सज़ा क्रिकेट में मिलती है, वैसी ही सज़ा दोनों बाप-बेटों को मिलनी चाहिए – गद्दार क्रिकेटरों के नाम से उनका सारा रिकॉर्ड डिलीट कर दिया जाता है, इन दोनों बाप बेटों के नाम विधायकी-सांसदी के रिकॉर्ड से हटाया जाए। देश को चोर-उचक्के-वोट_डकैत नेताओं की जरूरत नहीं।
अपना टाइम आएगा – जनता के बीच यह गाना पॉपुलर हो रहा है। क्या पता यह गाना राजनैतिक जागरूकता की मिसाल बन जाए। और अगर ऐसा हुआ तो बाप के नाम पर बेटे अभिषेक बच्चन को नहीं झेलने वाला पैरामीटर, वोटर लोग भी सेट करने लगें। तब कीर्ति के साथ-साथ बहुत से नेता-‘वीर’ पुत्रों को अपकीर्ति हाथ लगेगी। राजनीतिक संभावनाओं और समीकरण के साथ मिलते हैं अगले लेख में। तब तक के लिए राम-राम?