लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गाँधी की उम्मीदवारी पर कई दिनों से जारी अटकलों का दौर समाप्त हो चुका है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राहुल गाँधी दो सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गाँधी अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।
पिछले कुछ दिनों से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि राहुल गाँधी दो सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। कुछ दिनों पहले केरल के कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने राहुल गाँधी के केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि राहुल गाँधी द्वारा दूसरी सीट से चुनाव लड़ने पर पिछले क़रीब एक महीने से विचार किया जा रहा था। हालाँकि इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि दो सीट से चुनाव लड़ने के लिए राहुल तैयार नहीं थे, लेकिन काफ़ी समझाने-बुझाने के बाद राहुल इस सीट से लड़ने के लिए तैयार हो गए।
आज रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार मोदी सरकार में दक्षिण भारतियों की संस्कृति पर हमला बोला जा रहा है उससे तीन राज्यों (केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु) की जनता का मान रखते हुए राहुल गाँधी ने वायनाड से चुनाव लड़ने का निश्चय किया है।
BREAKING: Congress Party President Rahul Gandhi to contest from two seats. One of course is Amethi and the other seat is Wayanad.
— Prashant Kumar (@scribe_prashant) March 31, 2019
Rahul ji has given his consent to contest from Wayanad in Kerala. pic.twitter.com/egH8XbLl75
लोकसभा का परिसीमन होने के बाद साल 2008 में केरल की वायनाड सीट अस्तित्व में आई थी। यह सीट कन्नूर, मलाप्पुरम और वायनाड संसदीय क्षेत्र को मिलाकर बनी है। इससे पहले कॉन्ग्रेस के एमएल शाहनवाज़ इस सीट पर दो बार अपनी जीत दर्ज कर चुके हैं।
हालाँकि यह भी कहा जा रहा है कि, अमेठी की चुनावी लड़ाई में कॉन्ग्रेस को अभी से अपनी हार नज़र आ रही है। बीजेपी ने घोषणा की है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, गाँधी के गढ़ माने जाने वाले अमेठी से चुनाव लड़ेंगी। इस घोषणा के बाद से ही कॉन्ग्रेसी खेमे में हड़कंप सा मच गया है। इसके परिणामस्वरूप ही कॉन्ग्रेस में राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करने की छटपटाहट भी देखने को मिल रही है।
ऐसे में राहुल गाँधी को पत्र लिखकर उनसे अमेठी से लड़ने के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया है। ऐसा करने के पीछे मक़सद केवल राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करना है। राहुल के दो जगह से चुनाव लड़ने के फ़ैसले को स्मृति ईरानी का डर न कहा जाए तो भला और क्या कहा जाए। इससे कॉन्ग्रेस की हताशा और निराशा दोनों की तस्वीर एकदम साफ़ नज़र आ रही है।