उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने राज्य में कई जगहों पर हाथी की मूर्तियों को लगवाया था। इन मुर्तियों को लगाने के लिए मायावती ने सरकारी खज़ाने को ग़लत तरह से ख़र्च किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के द्वारा सरकारी पैसा ख़र्च करके प्रतिमा लगाए जाने को ग़लत बताते हुए अपने फ़ैसले में मूर्तियों पर किए गए ख़र्च को लौटाने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ़ैसला सुनाए जाने के बाद अब इस मामले में मायावती की प्रतिक्रिया आई है।
मायावती ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा, “मीडिया कृपया कर माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश न करें। हमारी पार्टी माननीय न्यायालय में अपना पक्ष पूरी मज़बूती के साथ आगे रखेगी। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी न्यायालय से पूरा इंसाफ़ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है।”
सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल / स्मारक / पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है।
— Mayawati (@SushriMayawati) February 9, 2019
मायावती ने इस मामले में एक और ट्वीट करते हुए कहा कि सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल, स्मारक, पार्क आदि सरकारों द्वारा बनाई गई। इनसे उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान मिला और यह जगह व्यस्त पर्यटन स्थल बन गया। इन आकर्षक जगहों से सरकार को नियमित आय भी होती है।
इस ट्वीट को पढ़ने के बाद ऐसा लग रहा है मानों वो अपनी सरकार द्वारा बनाए गए स्मारक और पार्क आदि पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ख़ुद का बचाव कर रही हों।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (फ़रवरी 8, 2019) को आदेश दिया कि बसपा अध्यक्ष मायावती को जनता का वो सारा धन लौटाना होगा जिसे उन्होंने अपने स्मारकों को बनाने में ख़र्च किया था।
यह आदेश न्यायलय ने एक वकील द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जिसमें शिक़ायत थी कि कोई भी राजनैतिक पार्टी जनता के पैसों का इस्तेमाल अपनी मूर्तियाँ बनवाने के लिए या फिर प्रचार-प्रसार के लिए ख़र्च नहीं कर सकती।