Sunday, November 17, 2024
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गाय पर कार्टून… मतलब BBC को हुआ बवासीर: कभी ‘बहनोई’ आतंकवादी के लिए उमड़ा था प्यार, अब लंदन में मिल रही गालियाँ

गाय का कार्टून शेयर करने वाले बीबीसी के लोगों को संभवतः यह जानकारी नहीं है कि गाय के मूत्र का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए और गोबर का इस्तेमाल आज भी घर-आँगन की लिपाई-पुताई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्राचीन समय से ही गोमूत्र को पंचगव्य का हिस्सा माना जाता रहा है और इसका इस्तेमाल शक्तिवर्धक औषधियों के निर्माण में किया जाता है।

भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। गाय धार्मिक, समाजिक और सांस्कृतिक रूप से सनातन का हिस्सा रही है। इसको देखते हुए एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) ने 14 फरवरी को ‘काउ हग डे’ मनाने की अपील की है। बोर्ड का कहना है कि लोगों को अपने संस्कृति के प्रति जागरुक करने, भावनात्मक समृद्धि और खुशी के लिए यह फैसला लिया गया है। सरकार के इस फैसले से पेचिस की मार झेल रहे बीबीसी को अब बवासीर हो चुका है।

दरअसल, सरकार के फैसले का मजाक उड़ाते हुए बीबीसी ने गाय पर कार्टून शेयर किया। इस कार्टून के जरिए बीबीसी ने सरकार के फैसले का नहीं, बल्कि गौमाता का मजाक उड़ाया है। कार्टून में मजाकिया अंदाज में एक हफ्ते तक काउ गोबर डे, काउ मूत्र डे, काउ मिल्क डे, काउ घास डे इत्यादि मनाने की बात कही गई है। बात यहीं खत्म नहीं होती। पोस्ट पर मुस्लिम नाम वाले अकाउंटों से गाय को लेकर ऐसे कमेंट किए गए हैं, जो गाय में आस्था रखने वालों के लिए अपमानसूचक है।

गाय का कार्टून शेयर करने वाले बीबीसी के लोगों को संभवतः यह जानकारी नहीं है कि गाय के मूत्र का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए और गोबर का इस्तेमाल आज भी घर-आँगन की लिपाई-पुताई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्राचीन समय से ही गोमूत्र को पंचगव्य का हिस्सा माना जाता रहा है और इसका इस्तेमाल शक्तिवर्धक औषधियों के निर्माण में किया जाता है।

बीबीसी वालों को पता तो होगा ही कि जिस गोमूत्र का वे मजाक उड़ा रहे हैं, उसी गोमूत्र का अमेरिका तीन पेटेंट करवा चुका है। गाय का दूध नवजात बच्चों के लिए तो माँ के दूध के समान बताया गया है। बीबीसी वालों ने गाय के घास खाने का भी मजाक उड़ाया। ऐसे में बीबीसी का यह कार्टून हिंदू आस्था के प्रति घृणा को दर्शाता हुआ प्रतीत होता है।

वैसे यह पहली बार नहीं है, जब बीबीसी ने भारतीयता पर हमला किया हो। यह वही बीबीसी है जो आतंकवादियों के प्रति मोहब्बत जताता रहता है। जिन आतंकवादियों को हम दशकों से झेलते आए हैं, उसके लिए बीबीसी की हमदर्दी उसके रिपोर्ट में झलकती है। बालाकोट हमले के बाद एक रिपोर्ट में बीबीसी ने आतंकियों के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे उनकी मंशा जाहिर होती है।

हाल ही में बीबीसी ने गुजरात दंगों पर एक प्रोपगेंडा डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इसमें तथ्य कम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के साथ खिलवाड़ की कोशिश ज्यादा की गई है। पीएम मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का ब्रिटेन में भारी विरोध हुआ था। 29 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीयों ने लंदन में स्थित बीबीसी मुख्यालय और उसके क्षेत्रीय कार्यालयों के बाहर बड़ी संख्या में एकजुट होकर प्रदर्शन किया था।

बीबीसी की स्थिति अब चूँकि बवासीर तक पहुँच चुकी है, इसलिए ऐसे विरोधों और प्रदर्शनों का उस पर कोई खास प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। ऐसा होता तो करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक गौमाता का मजाक उड़ाने से पहले वह कई बार विचार करता।

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राजन कुमार झा
राजन कुमार झाhttps://hindi.opindia.com/
Journalist, Writer, Poet, Proud Indian and Rustic

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