दिल्ली के शाहीन बाग इलाक़े में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ गुंडों ने शुक्रवार (24 जनवरी) को न्यूज़ नेशन के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया पर हमला कर दिया था। इस हमले के बारे में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया था। इसमें उन्होंने बताया था, “हम सुन रहे हैं कि संविधान ख़तरे में है, हम सुन रहे हैं कि लड़ाई लोकतंत्र को बचाने के लिए है! जब मैं शाहीन बाग की उसी आवाज़ को देश को दिखाने के लिए पहुँचा, तो वहाँ मॉब लिंचिंग से कम कुछ नहीं मिला!”
इस घटना का जो वीडियो सामने आया वह काफ़ी चौंका देने वाला था। विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कुछ गुंडों ने पत्रकार दीपक चौरसिया पर हमला कर दिया था। इस दौरान उनके अलावा उनके साथ गए कैमरा पर्सन पर भी हमला किया गया और उपद्रवियों ने उनके कैमरे को भी तोड़ डाला। पत्रकार के अनुसार, उनकी सुरक्षा के लिए वहाँ कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।
इस हमले की जहाँ एक तरफ़ तो कड़ी निंदा की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वामपंथी पत्रकारों ने इस हमले को सही ठहराते हुए इस्लामवादी मोर्चे के कृत्य पर पर्दा डालने की कोशिश की।
CNN न्यूज 18 की राजनीतिक संपादक, मारिया शकील (Marya Shakil) ने दीपक चौरसिया पर हुए हमले की एक तरफ तो निंदा की, तो वहीं दूसरी तरफ वो इस्लामिक गुंडों को सही ठहराती भी नज़र आईं।
Targeting a journalist on duty is wrong &I condemn it.But we must also think about why the mic ? which is supposed to give voice to the voiceless has started intimidating people? Why is the media not trusted by ppl at large & is now a party in this dangerous & polarising debate? https://t.co/j5uueIIztT
— Marya Shakil (@maryashakil) January 24, 2020
मारिया शकील का कहना है कि पत्रकारों को यह सोचना चाहिए कि वो जिस माइक का इस्तेमाल दूसरों की आवाज़ उठाने के लिए करते हैं, वो उससे लोगों को डराने-धमकाने लगे। उन्होंने सवालिया होते हुए कहा कि आखिर मीडिया पर लोगों को भरोसा क्यों नहीं है? उन्होंने यह भी कहा कि आज का मीडिया “ख़तरनाक और ध्रुवीकरण बहस” के लिए एक पार्टी बनकर रह गई है।
मारिया की इस प्रतिक्रिया से इस बात का अंदाज़ा तो बख़ूबी लगाया जा सकता है कि वो पत्रकार दीपक चौरसिया पर हुए हमले की निंदा तो कर रही थी, लेकिन साथ ही शाहीन बाग की उस भीड़ का भी बचाव कर रही थी जो विरोध-प्रदर्शन की आड़ में हिंसक-प्रदर्शन को अंजाम दे रही थी।
मारिया के जवाब में, वामपंथी रोहिणी सिंह ने एक क़दम आगे बढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की। उन्होंने ट्वीट किया कि उचित व्यवहार का दायित्व हमेशा ऐसे नागरिकों पर ही क्यों होता है जो एक ही मीडिया द्वारा लगातार अमानवीय और अपमानित होते रहते हैं।
Also the onus of appropriate behaviour is always on citizens who have consistently been dehumanised, demonised and abused by the same media.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) January 24, 2020
अपनी इस प्रतिक्रिया से उन्होंने मुस्लिमों का सीधे तौर पर तो कोई उल्लेख नहीं किया, लेकिन इस सन्दर्भ में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की हरक़तों को छिपाने का प्रयास ज़रूर किया।
वामपंथी पत्रकार रोहिणी सिंह इतने पर भी नहीं रुकीं, आगे बढ़ते हुए उन्होंने दीपक चौरसिया को लगभग लताड़ लगाते हुए कहा कि शाहीन बाग में मुस्लिम महिलाएँ विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं और आप (दीपक चौरसिया) वहाँ अपनी आवाज़ बुलंद करने गए थे। ऐसा कहकर रोहिणी सिंह ने बेशर्मी से चौरसिया पर हुए हमले को वैध ठहरा दिया।
Let’s be honest here about a section of Indian media. Muslim women were protesting. You go there to delegitimise their voice. You behave like a goon. Your intention wasn’t to report. Your intention was to demonise Muslims. Again.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) January 24, 2020
शेखर गुप्ता के नेतृत्व वाले द प्रिंट की पत्रकार जैनब सिंकदर का ट्वीट तो और भी शर्मनाक था। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि शाहीन बाग के गुंडे वास्तव में दीपक चौरसिया के साथ ‘विनम्र’ थे। यह सोचने वाली बात है कि उनकी इस प्रतिक्रिया से कहीं उनका आशय यह तो नहीं था कि गुंडों को उन्हें (दीपक चौरसिया) और पीट देना चाहिए था।
Shaheen bagh was rather polite to you Chaurasia https://t.co/CRanb77q6X
— Zainab Sikander (@zainabsikander) January 24, 2020
ऐसा प्रतीत होता है जैसे द प्रिंट की पत्रकार दीपक चौरसिया पर हुए हमले पर ख़ुशी जता रही हों। ग़ौर करने वाली बात यह है कि शेखर गुप्ता, जो एडिटर्स गिल्ड को लीड करते हैं, उन्होंने राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ केवल एक ट्वीट करने के लिए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के ख़िलाफ बयान जारी कर दिया था।
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/dFrGYuTYJq
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) December 28, 2019
अन्य छोटे स्वयंभू पत्रकारों ने भी इस मुद्दे पर अपने-अपने विचार रखे। ध्रुव राठी ने आज के मीडिया जगत को गोदी मीडिया की संज्ञा देते हुए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को सहिष्णु होने की सलाह दी।
Protestors need to be tolerant
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) January 24, 2020
The anger against Godi Media is justified but this is not the way to treat them. Defeat them on logical arguments, with words. Not with any force or heckling. Otherwise such small incidents will backfire badly and defame the whole movement. https://t.co/DVYgVHDxlj
Deepak Chaurasia and Co maafi maange national tv par jo 6 saal unhone zeher failaaya hai uske liye. Uske baad har jagah aa kar main khud apne sar par bithaaunga unhe.
— Dushyant (@atti_cus) January 24, 2020
Rwanda Journalists like Deepak have been spewing venom since 2014, these people are genocide enabler, they have normalized mob lynchings in India.
— Md Asif Khan آصِف (@imMAK02) January 24, 2020
Now they are crying bcz common people shooing them away in public places..
These Dalals deserve public hooting. https://t.co/U9NzYJuCFZ
ग़ौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही दीपक चौरसिया को CPI नेता CPI के पार्टी प्रवक्ता अमीर हैदर ज़ैदी ने टीवी पर बहस के दौरान टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया को ‘तू-ता’ कहकर गालियाँ दी थीं। अमीर हैदर ने दीपक चौरसिया को गाली देते हुए उन्हें ‘भ*वा पत्रकार’ तक कह दिया था। इसके बाद वो इतने पर भी नहीं रुके और दीपक चौरसिया पर और भी आरोप लगाते हुए ज़ैदी उन्हें भ*वा कहते हुए भद्दी गालियाँ देते हुए उन्हें दोहराते रहे।
बता दें कि कश्मीरी पंडित पलायन की 30वीं वर्षगाँठ के दिन, शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडितों के साथ भिड़ गए थे। CAA के ख़िलाफ़ इन विरोध प्रदर्शनों में हिन्दूफोबिक पोस्टर भी लगाए गए हैं। शाहीन बाग वही जगह है जहाँ ‘जिन्ना वली आज़ादी’ के नारे लगाए गए थे। इस विरोध-प्रदर्शन में, अपने एजेंडे के तहत बच्चों का भी इस्तेमाल किया गया था। विरोध में खड़े बच्चों ने देश-विरोधी ऐसे नारे लगाए जिनके बारे में उन्हें कुछ पता भी नहीं था।
शाहीन बाग पहुँचे कश्मीरी पंडितों से CAA-विरोधी प्रदर्शनकारियों ने की हाथापाई