विवादास्पद पत्रकार बरखा दत्त दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों की रिपोर्टिंग को लेकर फिर से चर्चा में हैं। जैसा कि उनसे उम्मीद भी थी ही, उन्होंने इन दंगों की रिपोर्टिंग करते समय जमीनी वास्तविकता और तथ्यों को परखने की जगह अपना सारा ध्यान गंगा जमुनी तहजीब का ज्ञान उड़ेलने में खर्च कर दिया।
बरखा दत्त ने अपनी सालों से सींची गई प्रोपेगेंडा पत्रकार की भूमिका का बखूबी निर्वाह करते हुए इस हिन्दू विरोधी दंगों की रिपोर्टिंग में भी जानबूझकर हिन्दू विक्टिम्स को दरकिनार किया और सारा फोकस मुस्लिम पीड़ितों पर ही बनाए रखा, जिससे इन दंगों को मुस्लिम नरसंहार साबित किया जा सके, जबकि जमीनी वास्तविकता ठीक इससे उलट है।
लेकिन उनका यह प्रोपेगेंडा सोशल मीडिया यूजर्स के सामने पल भर में धराशाई होते दिखा, जब उन पर चारों तरफ से इस इकतरफा रिपोर्टिंग को लेकर सवाल आने शुरू हो गए। लोगों ने उनसे पूछना शुरू कर दिया कि क्यों वो दंगे की बलि चढ़े हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और मुस्लिम फ़सादियों की बर्बरता के शिकार हुए आईबी के अंकित शर्मा के यहाँ नहीं गईं?
Pic 1- Aamir, Hashim
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) March 1, 2020
Pic 2- Mujibur Rehman
Pic 3- Faizan
Pic4- Muddasir Khan
She couldn’t find home of Ratan Lal and Ankit Sharma? pic.twitter.com/65ydRlX0Bz
I implore you to grit your teeth, and go through @bdutt‘s tweets since yesterday.
— Aakash (@Ateendriyo) February 29, 2020
Not a single mention of Ankit Sharma, no mention of Rattan Lal. Whole videos dedicated to Muslim victims. https://t.co/Xa4TKgU8mi
लोगों ने उनसे यहाँ तक कहा कि अंकित शर्मा के साथ हुई बर्बरता पर भी रिपोर्ट कर दीजिए लेकिन बरखा जी ने अच्छी विदेशी क्वालिटी का तेल दोनों कानों में भरा हुआ था शायद…
“Was I beaten just because my name is Imran?”- Rickshaw puller & father of five, asks me #DelhiRiots #Mojo https://t.co/qXnEPqi0CJ
— barkha dutt (@BDUTT) February 29, 2020
सोशल मीडिया के तमाम जायज सवालों और कुछ लोगों की अपीलों के बावजूद भी बरखा हिन्दू पीड़ितों से मिलने अब तक नहीं जा सकी हैं। यह देखना दुखद तो है ही, पर अब आश्चर्यजनक नहीं लगता क्योंकि यह वही ब्रिगेड है जिसने नागरिकता कानून और एनआरसी पर महीनों मुस्लिमों को भड़काया, उन्हें सड़क पर उतारा। इस ब्रिगेड से कोई रवीश कह देता है, “किसी ने बताया कि वो शाहरुख़ नहीं अनुराग मिश्रा है” ऐसे स्वनामधन्य पत्रकारों से और आशा भी क्या की जा सकती है?
Shabana is pregnant, the mob still came for her. At the Al-Hind hospital doctors are battling to save her and her baby. My ground report is up on #Mojo #DelhiRiots https://t.co/J5BDKEU4CX
— barkha dutt (@BDUTT) February 27, 2020
Heros in this sad story- Sanjiv and few other neighbors Mujibur mentioned. I really hope to see you go and meet them for interview. Wouldn’t it be nice to have another wise human being like Mujibur talk sensibly? There are fine people on both side much more than the evils are.
— Ketan (@KP_Ketanpatel) February 27, 2020
लेकिन जो आपको याद रखना है उसे अच्छे से अपने दिलो दिमाग में बैठा लीजिए – दिल्ली का दंगा, हिन्दू विरोधी दंगा था, जिसमें हिन्दुओं की सिर्फ हत्या नहीं हुई, उनकी हत्याएँ बेरहमी के साथ की गईं, जिसके लिए महीनों से तैयारी चल रही थी, पेट्रोल इकट्ठा किया जा रहा था, ईंट बोरियों में भर-भर कर छतों तक पहुँच रही थी।