एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editor Guild of India) ने शुक्रवार (अप्रैल 30, 2021) को केंद्र सरकार से माँग की है कि हर पत्रकार को प्राथमिकता के साथ वैक्सीनेट किया जाए। उनका कहना है कि पत्रकार फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह काम पर डटे थे।
एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, “गिल्ड ये जानकर बेहद परेशान है कि केंद्र सरकार ने अभी तक पत्रकारों के टीकाकरण के लिए महीनों से कोई कदम नहीं उठाए हैं। इनमें से कई फ्रीलांसर हैं और उनका बीमा तक नहीं है। बाकी मीडिया संस्थानों के लिए काम करते हैं जो जरूरी नहीं कि कंपनी द्वारा कराए गए बीमा का फायदा उठाएँ।”
आगे इसमें लिखा है, “कुछ हफ्ते पहले एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने माँग की थी कि पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर प्राथमिकता से वैक्सीनेट किया जाए ताकि वह नए वैरिएंट से सुरक्षित रहें। विभिन्न राज्य सरकारों और मीडिया संस्थानों के समर्थन के बावजूद केंद्र सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी।”
अब कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच एडिटर्स गिल्ड का ये बयान मीडिया के रवैये से थोड़ा विरोधाभासी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस महामारी में कई पत्रकार अपनी मर्जी से जनता तक जानकारियाँ पहुँचाने के काम में लगे रहे। मुख्यधारा मीडिया भी कहता रहा कि वह जनता का एक भाग हैं, उनकी आवाज हैं और सामान्य जन के साथी हैं।
फिर आखिर अब क्या हुआ? मुश्किल की घड़ी आई और तो सबसे पहले वह अपनी ताकत का इस्तेमाल कर खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं। सामान्य नागरिकों से जो उनकी कमिटमेंट थी वह उससे कैसे भाग सकते हैं। ये स्वार्थ नहीं तो क्या है।
मीडिया का दावा होता है कि वो जनता के लिए लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन इस बार एडिटर्स गिल्ड जैसे अपनी ताकत का उपयोग कर वैक्सीनेशन की लाइन में आगे आना चाहता है, ये साफ जाहिर है कि वह केवल अपने लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कैसे कोई आम आदमी लाइन में लग कर वैक्सीन लगवाने का इंतजार कर रहा है। एडिटर्स गिल्ड की एकजुटता यहाँ पर सामान्य जन के साथ नहीं है। वह बस आगे जाकर अपनी शक्ति का लाभ उठाना चाहते हैं।
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि अप्रैल 2020 से लेकर अब तक 100 से ज्यादा पत्रकार अपनी जान गँवा चुके हैं। हर मृत्यु भयावह है क्योंकि कोई भी एक व्यक्ति अपने संसार का प्रतिनिधित्व करता है। हर मृत्यु पर शोक होना चाहिए। लेकिन ये भी सच है कि भारत में अब तक 2,00,000 से ज्यादा लोग जान गँवा चुके हैं और कई अन्य लोगों की जान खतरें में है।
इसलिए इस बात का कोई तुक नहीं है कि पत्रकारों का प्राथमिकता से टीकाकरण होना चाहिए वो भी आम जनता से पहले। यही लोग हैं जो सामान्य दिनों में वीआईपी कल्चर को कोसते हैं लेकिन यदि खुद को उससे फायदा हो तो ये उसका लाभ उठाने से भी गुरेज नहीं करते।
ध्यान रहे कि अब तक इस गिल्ड ने आजतक के एंकर रोहित सरदाना की मृत्यु पर जश्न मनाने वालों के ख़िलाफ कोई बयान नहीं जारी किया है। जाहिर है कि गिल्ड के लिए हर कोई समान होगा लेकिन ये और भी स्पष्ट है कि कुछ अन्य लोग उनके लिए दूसरों की तुलना में ऊपर हैं।