हिन्दू देवी-देवताओं का खुलेआम अपमान करने वाले मोहम्मद जुबैर की दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी पर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI)’ ने लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है। इसमें AltNews के सह-संस्थापक की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा गया है कि 2018 के एक ट्वीट को लेकर सोमवार (27 जून, 2022) को ये कार्रवाई की गई। EGI ने दिल्ली पुलिस से मोहम्मद जुबैर को तुरंत रिहा करने की माँग की है।
गिल्ड ने अपने बयान में कहा, “घटनाओं को विचित्र मोड़ देते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद जुबैर को पूछताछ के लिए बुलाया था। ये 2020 का मामला था, जिसमें उच्च न्यायालय ने उन्हें गिरफ़्तारी से राहत दे रखी है। जब जुबैर ने समन पर प्रतिक्रिया दी तो उन्हें इसी महीने शुरू की गई एक आपराधिक जाँच के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया। एक अज्ञात पहचान वाले ट्विटर हैंडल ने उनके 2018 के एक ट्वीट पर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का आरोप लगाया था।” मोहम्मद ज़ुबैर ट्विटर पर कह चुका है कि वो पत्रकार नहीं है, फिर उसके लिए EGI सामने क्यों आया?
इस बयान में कहा गया है कि IPC की धाराओं 153 और 295 लगा कर मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया जाना काफी आकुल करने वाला है, क्योंकि उसकी वेबसाइट AltNews ने पिछले कुछ समय में फेक न्यूज़ को चिह्नित करने में ‘उदाहरण पेश करने वाले’ कार्य किए हैं और ‘दुष्प्रचार अभियानों को काटा’ है। EGI का कहना है कि मोहम्मद जुबैर ने ये सब तथ्यात्मक और वस्तुनिष्ठ तरीके से किया है। साथ ही संस्था ने कहा कि टीवी पर सत्ताधारी पार्टी के एक प्रवक्ता के ‘ज़हरीले बयान’ का खुलासा था, जिस कारण पार्टी को बदलाव करना पड़ा।
अर्णब गोस्वामी EGI के लिए पत्रकार होते हुए भी पत्रकार नहीं हैं। मोहम्मद जुबैर खुद को पत्रकार न बताते हुए भी इनके लिए पत्रकार है। तभी एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सेलेक्टिव आउटरेज का एक बड़ा उदाहरण बनता जा रहा है, जहाँ वो खुद चुनता है कि कब किसकी गिरफ़्तारी को छिपाना है और किसे उठाना है। अब संस्था बताए कि क्या वो जुबैर के हिन्दू देवी-देवताओं वाले ट्वीट्स-पोस्ट्स का समर्थन करता है? वो खुद को खुलेआम हिन्दू विरोधी घोषित कर दे फिर।
The Editors Guild of India condemns the arrest of Muhammad Zubair, co-founder of the fact checking site AltNews, by the Delhi Police on June 27, for a tweet from 2018. EGI demands that the Delhi Police should immediately release Muhammad Zubair. pic.twitter.com/q9uYqFxaPA
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) June 28, 2022
वहीं अर्णब गोस्वामी को जब उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ित करते हुए उद्धव ठाकरे सरकार की मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तब EGI ने काफी दबाव के बाद दो पैराग्राफ में बयान जारी कर इतना लिख इतिश्री कर ली थी कि पुलिस उनके साथ अच्छा व्यवहार करे। रिहाई की माँग नहीं की गई थी और जिन आरोपों के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था, उन्हें हाइलाइट किया गया था। जबकि जुबैर के मामले में उसके अपराधों के बारे में कुछ नहीं बताया गया है और सीधा उसे छोड़ने की माँग की गई है।
The Editors Guild of India has issued a statement on the arrest of Arnab Goswami, editor-in-chief of Republic TV. pic.twitter.com/gL3MstVlla
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) November 4, 2020
वहीं मोहम्मद जुबैर के समय EGI खुद ही जज बन बैठा है और कह रहा है कि AltNews की ‘सतर्क चौकसी’ ने उन लोगों को नाराज़ कर दिया था, जो दुष्प्रचार को एक हथियार बना कर समाज का ध्रुवीकरण करते हैं और राष्ट्रवादी भावनाओं को उकसाते हैं। एक तरह से ऐसा लग रहा है जैसे ये किसी विपक्षी पार्टी का बयान हो, पूर्णतः राजनीतिक। लोकतंत्र को लेकर G7 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता की याद दिलाते हुए एडिटर्स गिल्ड ने ऑफलाइन और ऑनलाइन कंटेंट्स की सुरक्षा की सलाह दी है।
अब सवाल उठता है कि जो खुलेआम खुद को पत्रकार ही नहीं मानता, उसकी रिहाई के लिए ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने क्यों दिन-रात एक किया हुआ है? जबकि जो उस समय भारत के सबसे ज्यादा टीआरपी वाले चैनल का मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ है, उसके लिए सिर्फ खानापूर्ति की गई थी। EGI ने जैसे अर्णब गोस्वामी के समय आत्महत्या के लिए उकसाने वाले आरोप का जिक्र किया था, अब उसने मोहम्मद जुबैर के सारे हिन्दूफोबिया वाले ट्वीट्स का जिक्र क्यों नहीं किया?
अगर ये संस्था पत्रकारों के हितों की बात करती है तो फिर इसे राष्ट्रवाद से क्या दिक्कत? हिन्दू एकता को ध्रुवीकरण का नाम देकर इसे क्यों भला-बुरा कह रहे ये? पत्रकारिता की बात करें ना। सत्ताधारी पार्टी से इनकी क्या दुश्मनी? बंगाल में पत्रकारों पर हमले पर हमले होते हैं, तब ये कहाँ चले जाते हैं? तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या TMC का नाम तो छोड़िए, एक बयान तक नहीं आता। छत्तीसगढ़ और आंध्र में पत्रकार गिरफ्तार किए जाते हैं तब इनकी घिग्घी बँधी रहती है, क्योंकि वहाँ इनके आकाओं की सरकार होती है।
असल में इनका काम पत्रकारिता है ही नहीं। इनका कार्य है कॉन्ग्रेस और TMC जिसे दलों के साथ मिल कर भाजपा विरोधी एजेंडा चलाना और इसी के तहत ये तय करते हैं कि किस पत्रकार को मार भी डाला जाए तो चूँ नहीं करना है और किसे मच्छर भी काट ले तो देश-दुनिया में हंगामा मचाना है। अब इनकी कोशिश होगी कि हर एक घटना के नैरेटिव का उर्दू और अरबी में अनुवाद कर के अपने क़तर के आकाओं को भेजें और उनसे बयान जारी करवाएँ।