21 अप्रैल 2023 की सुबह हम जैसे काॅमन मैन की आँख खुली तो ट्विटर का ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) छिन चुका था। लेकिन एलन मस्क ने ब्लू टिक छीनने में आम आदमी, सेलिब्रिटी, राजनेता टाइप वाला कोई भेदभाव नहीं किया। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार जैसे बाॅलीवुड दिग्गज हों या विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी जैसे नामचीन क्रिकेटर या फिर राहुल गाँधी, योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल जैसे भारतीय राजनीति के नाम, सबका ब्लू टिक गायब है। कुल मिलाकर अब अखिलेश यादव जैसे उन लोगों का ब्लू टिक ही बचा है जो इसके लिए मस्क को माल दे रहे हैं। ब्लू टिक रवीश कुमार का भी गया है। लेकिन रवीश कुमार ने अब भी गोदी सेठ का ठप्पा नहीं हटाया।
वैसे ब्लू टिक की पुरानी परिपाटी बदलने का ऐलान मस्क ने ट्विटर खरीदने के बाद ही कर दिया था। यह तय था कि जो भी इसके बदले भुगतान नहीं करेंगे उनका ब्लू टिक जाएगा। भारत में ऐसे लोगों का ब्लू टिक छिन जाने की तारीख 20 अप्रैल होगी यह जानकारी भी 12 अप्रैल 2023 को ही आ गई थी। कभी फ्री में ब्लू टिक के तौर पर ट्विटर पर मिलने वाला ‘स्टेट्स सिंबल’ अब आप खरीद सकते हैं। लेकिन रवीश कुमार का थेथरपना देखिए वे अब भी फ्री में गोदी सेठ का ठप्पा लगाए हुए ट्विटर पर विचरण कर रहे हैं।
ट्विटर पर आप पाएँगे कि रवीश कुमार यूजर नेम के तौर पर @ravishndtv का इस्तेमाल करते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं वे यूट्यूबर बनने से पहले एनडीटीवी (NDTV) से जुड़े थे। यहाँ उन्होंने चिट्ठी छाँटने से लेकर प्राइम टाइम में वैचारिक उलटी करने का सफर तय किया था। लेकिन एनडीटीवी में अडानी की एंट्री के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ‘गोदी सेठ’ नाम का शाब्दिक आडंबर रचकर माहौल भी बनाया था।
सोशल मीडिया में अपने संस्थान के नाम का इस्तेमाल करना सामान्य बात है। लेकिन नैतिक तौर पर अपेक्षा की जाती है कि जब कोई व्यक्ति खुद को संस्थान से अलग करेगा तो सार्वजनिक मंचों पर भी खुद को उस नाम से अलग कर लेगा। वह अपने आचरण से प्रदर्शित करेगा कि एक खास संस्थान के नाम से उसे जो लाभ प्राप्त हो रहा था, उसका अब वह अधिकारी नहीं है। रवीश कुमार के इस्तीफे के बाद भी इसी तरह की अपेक्षा की गई थी। लेकिन उन्होंने ट्विटर पर अपने यूजर नेम से एनडीटीवी को अलग नहीं किया।
इसकी एक वजह यह भी बताई गई थी कि यूजर नेम बदलने पर उनका फ्री का ब्लू टिक छिन सकता है। एलन मस्क ने खुद से ब्लू टिक छीनकर रवीश कुमार को इस बेड़ी से भी आजाद कर दिया है। लेकिन रवीश कुमार ने उस एनडीटीवी को अब तक खुद से जुदा नहीं किया है, जिसमें उनके गोदी सेठ की हिस्सेदारी है।
शायद रवीश कुमार को आभास है कि उनकी जो भी दुकानदारी है, वह इसी नाम के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। उन्होंने इस दुकान से प्रोपेगेंडा बेच बेचकर खुद को यूट्यूब पर अपनी दुकान खोलने के काबिल बनाया है। इसलिए इस बात की उम्मीद कम ही है कि वे इस ठप्पे से खुद को मुक्त करेंगे। वैसे भी रवीश कुमार की पत्रकारिता, सार्वजनिक मंचों पर उनका आचरण वैसा ही है, जैसे पड़ोसी के घर चिकन मुर्ग मुसल्लम देखकर कोई अपने पिता के शाकाहार को एक खास वर्ग के प्रति नफरत बताए। ऐसे व्यक्ति से नैतिकता की उम्मीद बेमानी है।