जिस तरह से पश्चिमी देशों में हिंदू, बौद्ध और जैन (Hindus, Bauddh and Jain) समुदाय के खिलाफ नफरत और हिंसा बढ़ रही है, उसमें रॉयटर्स (Reuters) जैसी न्यूज एजेंसी और गार्डियन (Guardian) जैसे प्रमुख अखबारों का प्रोपेगेेंडा प्रमुख भूमिका निभा रहा है। रॉयटर्स और गार्डियन जैसे मीडिया संस्थान हिंदुओं के प्रतीकों को बदनाम कर हिंदुओं को खिलाफ स्थानीय जनमानस में भावनाएँ भड़काने का काम कर रहे हैं।
हिंदुओं के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाते हुए विश्व की सबसे बड़ी ब्रिटिश न्यूज एजेंसी ने हिंदू प्रतीक स्वस्तिक के सहारे बदनाम करने की कोशिश की है। रूस में एक बंदूकधारी ने एक स्कूल में एक दर्जन से अधिक लोगों की हत्या कर दी। इसकी खबर देते हुए रॉयटर्स ने लिखा, “जाँचकर्ताओं ने कहा कि स्वस्तिक टी-शर्ट वाले एक बंदूकधारी ने 7 बच्चों सहित 13 लोगों की हत्या कर दी। खुद को मारने से पहले रूस के एक स्कूल में 20 से अधिक लोगों को घायल कर दिया।”
A gunman with a swastika on his t-shirt killed 13 people, including seven children, and wounded more than 20 at a school in Russia before killing himself, investigators said https://t.co/B4JASmepfm pic.twitter.com/XKuWraXvEV
— Reuters (@Reuters) September 26, 2022
वहीं, ब्रिटेन के प्रसिद्ध अखबार गार्डियन ने भी ऐसा ही किया है। उसने भी अपनी खबर में स्वास्तिक के माध्यम से हिंदुओं को बदनाम करने और उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का काम किया है। गार्डियन ने अपनी खबर में लिखा, “स्वस्तिक वाले टी-शर्ट पहने एक बंदूकधारी ने रूसी स्कूल में 15 की हत्या कर दी।”
Gunman with swastika on T-shirt kills 15 at Russian school
— The Guardian (@guardian) September 26, 2022
https://t.co/KgumVyk2I0
इन दोनों ब्रिटिश न्यूज एजेंसियों की खबर पर दुनिया में मानवीय शुभता के हिंदू प्रतीक ‘स्वस्तिक’ और जर्मन तानाशाह हिटलर द्वारा प्रयोग किए गए नाजी प्रतीक ‘हेकेनक्रेज’ या ‘हूक्ड क्रॉस’ (Heckenkreuz or Hooked Cross) के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली अमेरिकी NGO ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है।
कॉलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) ने कहा, “@guardian और @Reuters, कृपया इस भयानक त्रासदी की सही-सही रिपोर्ट करें। टी-शर्ट पर नाज़ी चिह्न को बताने के लिए #Hakenkreuz (हुक्ड क्रॉस) शब्द का प्रयोग होना चाहिए, स्वास्तिक नहीं। सभी नाजी साहित्य और उस युग की समकालीन रिपोर्टिंग भी यही कहती हैं।”
Check out last week's comprehensive report from @USATODAY with accurate usage and the history of the misuse. https://t.co/8slAw6SyaY
— CoHNA (Coalition of Hindus of North America) (@CoHNAOfficial) September 26, 2022
बता दें कि पश्चिमी मीडिया नाजियों के हुक्ड क्रॉस को हिंदू धर्म के शुभ प्रतीक स्वस्तिक बताकर प्रोपेगेंडा फैलाते रहे हैं। इससे विश्व भर में हिंदुओं के खिलाफ और उनके धर्मस्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं। कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन में हिंदुओं पर हमले हाल के दिनों में कई गुना बढ़े हैं। इन हमलों को लेकर भारत सरकार को विदेशों में रहने वाले हिंदुओं को लेकर चेतावनी जारी करनी पड़ी।
दरअसल, इन देशों में रहने वाले हिंदू और हिंदू संगठन लगातार वहाँ के अधिकारियों और सरकार को बताते रहे हैं कि नाजियों के हुक्ड क्रॉस और हिंदुओं के स्वस्तिक में भारी अंतर है। इस अंतर को समझते हुए हुक्ड क्रॉस को स्वस्तिक से ना जोड़ा जाए और ना ही उसे स्वस्तिक कहा जाए। इसके बावजूद हिंदू विरोधी मीडिया संस्थान हिंदुओं के इस प्रतीक का इस्तेमाल कर उनके खिलाफ हिंसा के लिए स्थानीय लोगों को लगातार उकसा रहे हैं।
अमेरिका के राज्यों और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस अंतर को समझते हुए इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी दिए हैं। पिछले महीने 23 अगस्त को अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया ने इसको लेकर एक कानून भी पारित किया है। कैलिफोर्निया राज्य की सीनेट ने सर्वसम्मति से एक विधेयक AB2282 पारित किया।
इस विधेयक में नाजी हेकेनक्रेज़ (जर्मन में हुक्ड क्रॉस) के प्रदर्शन को अपराध बनाया गया है। इसके साथ ही इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह स्वस्तिक जैसा दिखता है, लेकिन यह बिल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म से जुड़े स्वस्तिक के प्रदर्शन को अपराधीकरण नहीं करता। इसका मतलब स्पष्ट है कि कैलिफोर्निया की सीनेट मानती है कि हिंसा को प्रतीक बना हुक्ड क्रॉस हिंदुओं के स्वस्तिक से अलग है।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स संसद (NSW Parliament) ने हेक्रेनक्रेज के प्रदर्शन को अपराध घोषित किया, लेकिन स्वस्तिक को उससे अलग रखा। इसी तरह का बिल ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया और क्वींसलैंड में पास किया गया। यहाँ भी सरकारों ने हिंदुओं के माँग को ध्यान में रखते हुए नाजी हेकेनक्रेज और स्वस्तिक से अलग माना।
हिटलर ने अपनी आत्मकथा या अपने भाषणों में हेकेनक्रेज को स्वस्तिक कभी नहीं बताया है। इसके बावजूद भी पश्चिम की मीडिया इस हिंसक नाजी प्रतीक को हिंदुओं के पवित्र प्रतीक स्वस्तिक से जोड़ने का प्रयास करती है। जब नाजी सिंबल का कहीं पर प्रदर्शन होता है, उसे स्वस्तिक बता देती है।
ब्रिटिश स्कॉलर मैक्स मुलर ने भी ‘स्वस्तिक’ को भारतीय शब्द बताते हुए इसके प्रयोग पर आपत्ति जताई थी। वो ये नहीं चाहते था कि दुनिया ये मानें कि इस क्रॉस की उत्पत्ति भारत में हुई है। असल में हिटलर बचपन में अकेले में चर्च में गायिकी का आनंद लेता था और साथ ही पादरी भी बनना चाहता था। वो एक मोनेस्टरी है, जहाँ ऐसे ही चिह्न थे। यही चिह्न नाजी ‘Hakenkreuz’ की प्रेरणा बना। चैनल ने इसे 20वीं शादी का ऐसा विश्वासघात बताया है, जिसमें मोहरे सिर्फ एक ही तरफ से चले जा रहे थे।