टैक्स चोरी के आरोपों का सामना कर रहे दैनिक भास्कर को लेकर आयकर विभाग ने बड़ा दावा किया है। आईटी विभाग ने शनिवार (24 जुलाई) को दावा किया कि दैनिक भास्कर मीडिया समूह के कई कार्यालयों पर छापेमारी के दो दिन बाद 2,200 करोड़ रुपए के ‘काल्पनिक लेनदेन’ का पता चला है। वहीं, मीडिया समूह की तलाशी में छह वर्षों में ₹700 करोड़ की आय पर अवैतनिक कर, शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन और लिस्टेड कंपनियों से लाभ की हेराफेरी के आयकर विभाग को सबूत मिले हैं।
आयकर विभाग ने प्रेस रिलीज में बताया, ”22 जुलाई को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत एक प्रमुख व्यवसायी समूह पर तलाशी अभियान चलाया गया, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायों में शामिल है। इस ग्रुप का सालाना 6,000 करोड़ प्रति वर्ष का टर्न ओवर है। मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित 9 शहरों में फैले 20 आवासीय और 12 व्यावसायिक परिसरों को कवर किया गया है।
इस ग्रुप में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियाँ हैं। तलाशी के दौरान पता चला कि वे अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का संचालन कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों की बुकिंग और फंड के रूटिंग के लिए किया गया है। तलाशी के दौरान कई कर्मचारियों, जिनके नाम शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में इस्तेमाल किए गए थे। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्हें ऐसी कंपनियों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजिटल हस्ताक्षर नियोक्ता के विश्वास पर दिए थे। इसमें कुछ रिश्तेदार पाए गए, जिन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों का कोई नियंत्रण नहीं था, जिसमें उन्हें निदेशक और शेयरधारक माना जाता था।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कंपनियों का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया गया है, जैसे कि फर्जी खर्चों की बुकिंग और सूचीबद्ध कंपनियों से लाभ कमाना, निवेश करने के लिए उनकी करीबी कंपनियों में फंड को स्थानांतरित करना और सर्कुलर लेनदेन करना आदि। आयकर विभाग ने विज्ञप्ति में यह भी कहा कि मीडिया हाउस ने खनन, प्रसंस्करण और शराब, आटा व्यवसाय, अचल संपत्ति की बिक्री के माध्यम से 90 करोड़ रुपए की बड़ी आय अर्जित की। आयकर विभाग ने पाया है कि डीबी समूह की कई कंपनियों ने फर्जी खर्च बुक किया है और सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे में से 700 करोड़ की राशि का गबन किया है।
अब तक पता चला है कि इन तरीकों का इस्तेमाल आयकर देने से बचने के लिए किया गया है। इसके अलावा कंपनी अधिनियम के S.2 (76) (vi) और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सेबी द्वारा निर्धारित लिस्टिंग समझौते के खंड 49 का उल्लंघन शामिल है। बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम के आवेदन की भी जाँच की जाएगी।