द न्यूज मिनट (टीएनएम) ने हाल ही में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के जेल से छूट के आने के बाद एक इंटरव्यू प्रकाशित किया था। हाल ही में मोहम्मद ज़ुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज करीब आधा दर्जन से अधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी, जिसमें हिंदू संतों को बदनाम करने से लेकर फर्जी खबरें फैलाने तक के कई मामले शामिल थे।
हालाँकि, इंटरव्यू प्रकाशित होने के तुरंत बाद ही उसे अपडेट किया गया क्योंकि पाठकों ने इस बात पर घेर लिया कि कैसे ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर यूपी के जेलों में आराम से से रहे जबकि लिबरल-वामपंथी गिरोह ऐसी कई कहानियाँ बुनी थी जिसमें ज़ुबैर को गंभीर पीड़ित के रूप दिखाया गया था। उनके द्वारा ऐसा नैरेटिव बनाया गया था जैसर ज़ुबैर के साथ जेल में दुर्व्यवहार हो रहा हो या कठोर परिस्थिति में रखा गया हो।
द न्यूज मिनट में प्रकाशित रिपोर्ट, एक ऐसा संस्थान जो अपने वामपंथी झुकाव के लिए जाना जाता है और जिसके वरिष्ठ नेतृत्व ने ऑल्ट न्यूज़ और मोहम्मद जुबैर के लिए प्रोपेगेंडा चलाने में, झूठ फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। हालाँकि, दिल्ली पुलिस हिरासत में जुबैर को जेल में अच्छी तरह से रखा गया था। लेख में कहा गया है कि उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा एक वातानुकूलित कमरे में रखा गया था।
लेकिन घंटों बाद, लेख में वातानुकूलित कमरे के संदर्भ को सिर्फ एक “कमरे” से बदल दिया। नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि “एसी रूम” को एडिट करके केवल “रूम” में बदल दिया गया है।
यहाँ AC कमरे के संदर्भ को हटाने का मतलब केवल दो चीजें हो सकती हैं- या तो द न्यूज मिनट ने लेख को एडिट किया क्योंकि इसने दिल्ली पुलिस द्वारा मोहम्मद जुबैर को एसी कमरे में रखने के बारे में फर्जी खबर की रिपोर्ट की- या अपने पीड़ित वाले नैरेटिव को बचाए रखने के लिए इसे बदल दिया गया। जिसको वामपंथी मीडिया ने मोहम्मद ज़ुबैर के 24 दिनों की पुलिस हिरासत में रहने के दौरान गढ़ा था।
यह देखते हुए कि द न्यूज मिनट का लेख एक इंटरव्यू के रूप में प्रकाशित हुआ है और इसमें जुबैर ने जो उत्तर दिए वही बात लिखी गई थी। ऐसे में इस बात की संभावना न के बराबर है कि उस कमरे के प्रकार के बारे में जानकारी नहीं थी जिसमें दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को रखा था।
इसलिए, यह कहा जा सकता है कि रिपोर्ट में वही प्रकाशित किया गया था जो जुबैर ने उन्हें बताया था, ऐसे में यह संभावना ज़्यादा है कि लेख को दिल्ली पुलिस हिरासत के दौरान एसी कमरे में मोहम्मद ज़ुबैर के रहने के संदर्भ को अपने विक्टिमहुड वाले नैरेटिव के हिसाब से एडिट किया गया था ताकि पीड़ित वाली नैरेटिव को बनाए रखा जा सके। जिसे पिछले महीने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक की हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद वामपंथी और लिबरल मीडिया संगठनों द्वारा फैलाया गया था। यह नैरेटिव मोहम्मद ज़ुबैर के हिंदूफोबिक ट्वीट और फेसबुक पोस्ट इंटरनेट पर वायरल होने के बाद बड़ी सावधानी से गढ़ा गया था।
धार्मिक भावनाएँ आहत करने के आरोप में मोहम्मद जुबैर गिरफ्तार
बता दें कि मोहम्मद जुबैर को 28 जून, 2022 को दिल्ली पुलिस ने हिंदू धर्म को निशाना बनाते हुए अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295 के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह प्राथमिकी ट्विटर यूजर @balajikijaiin के एक ट्वीट पर आधारित थी जिसमें यूजर ने जुबैर के एक पुराने ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था जिसमें ज़ुबैर ने भगवान हनुमान का मजाक उड़ाया था। @balajikijain ने अपने ट्वीट में दिल्ली पुलिस को टैग किया था और उनसे भगवान हनुमान के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट के साथ हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए जुबैर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि इससे पहले जून में, जुबैर द्वारा हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हुए उसके पुराने हिंदूफोबिक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। वहीं मोहम्मद ज़ुबैर के हिंदूफोबिक ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट इंटरनेट पर वायरल होने से कुछ दिन पहले, जुबैर ने टाइम्स नाउ की एक डिबेट के दौरान एक टिप्पणी को आधार बनाकर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ मुस्लिम भीड़ को उकसाया था। जिसके परिणामस्वरूप कट्टरपंथी मुस्लिम उनके जान के पीछे पड़ गए थे। और इसके बाद कम से कम तीन लोगों को नूपुर शर्मा के समर्थन के कारण बेरहमी से जान से मार दिया गया था।