मुस्लिम समूह या समूहों द्वारा जब भी कुछ ऐसा किए जाने की खबर आती है, जो लिबरल गैंग को पसंद नहीं आता – तो फैक्ट-चेक के नाम पर प्रोपेगेंडा फैलाने वाला ‘ऑल्ट न्यूज़ (AltNews)’ तुरंत सक्रिय हो जाता है। ऑल्ट न्यूज यह दिखाने लगता है कि अरे वो मुस्लिम थोड़े हैं, वो तो संघ का हिस्सा हैं।
यहाँ सवाल उठता है कि क्या अगर मुस्लिम समुदाय के लोग पीएम मोदी का समर्थन करते हैं या राम मंदिर पर ख़ुशी जताते हैं तो वो मुस्लिम नहीं रहे? AltNews तो यही कहता है। पीएम मोदी का जन्मदिन मनाने वाले मुस्लिम प्रोपेगेंडा पोर्टल AltNews के हिसाब से मुस्लिम नहीं है।
लिबरल गैंग की ओर से जिस तरह से कंगना रनौत और पायल घोष का महिला होने का सर्टिफिकेट कैंसल कर दिया गया है, ठीक उसी तरह AltNews मुस्लिमों के मुस्लिम होने का सर्टिफिकेट कैन्सल करने में देर नहीं लगाता है। और तो और, इसे फैक्ट-चेक के नाम पर परोस भी देता है, अगर उन्होंने कभी भी कुछ ऐसी चीज का समर्थन किया हो – जो पीएम मोदी या भाजपा द्वारा किया गया है या मीडिया गिरोह के एजेंडे के खिलाफ जाता है।
AltNews में ऐसी ख़बरों को लिखने वाली पत्रकार का नाम पूजा चौधरी है, जो वहाँ सीनियर एडिटर हैं और आजकल अनुराग कश्यप का समर्थन करने में लगी हुई हैं। यहाँ हम ऐसी 4 ख़बरों को दिखा कर बताएँगे कि कैसे उनके द्वारा उन लोगों को मुस्लिम मानने से इनकार किया जा रहा है, जिन्होंने पीएम मोदी का समर्थन किया है। मुस्लिमों को मुस्लिम होने का सर्टिफिकेट बाँटने वाले AltNews की कारस्तानियों की एक एक बानगी भर है।
गुरुवार (सितम्बर 17, 2020) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वाँ जन्मदिवस था और उस मौके पर निजामुद्दीन मरकज की इमारत के बाहर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इकट्ठा होकर उनके जन्मदिवस को मनाया। उस दौरान मौलाना सुहैब अंसारी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में पीएम मोदी ने कभी जाति-मजहब की बात न कर के 130 करोड़ भारतीयों की ही सिर्फ बात की है। मौलाना द्वारा पीएम मोदी का जन्मदिन मनाने का वीडियो भी वायरल हुआ।
वीडियो वायरल होने के बाद AltNews तुरंत एक खबर के साथ आया। उसने ANI पर इस खबर को प्रकशित करने के लिए निशाना साधा। साथ ही उसने ‘याहू न्यूज़’ और ‘फाइनेंसियल टाइम्स’ की भी इस खबर को प्रकाशित करने के लिए आलोचना की।
AltNews ने उन लोगों को इसीलिए मुस्लिम मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि वो भी ‘भारतीय आवाम पार्टी’ का हिस्सा थे और उस पार्टी ने कभी RSS के साथ मंच साझा किया था और वो पार्टी पीएम मोदी का समर्थन करती है।
इस कथित फैक्ट-चेक में दावा किया गया कि हैदराबाद के मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने भले ही पीएम मोदी को ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देने वाला बताते हुए उनकी बड़ाई की हो लेकिन उनकी बात इसीलिए नहीं मानी जाएगी क्योंकि वो पहले से ही पीएम मोदी के समर्थक रहे हैं। चूँकि वो संघ से जुड़े ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के लिए लेख लिखते हैं, इसलिए फैक्ट-चेक पोर्टल के लिए वो मुस्लिम नहीं हैं।
इसी तरह कुछ मुस्लिम महिलाओं ने ‘कसम खुदा की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएँगे’ का नारा देते हुए अयोध्या में राम मंदिर का समर्थन किया था। ये खबर नवम्बर 2018 में मेरठ से आई थी। यहाँ भी AltNews ने इस कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाली दोनों महिलाओं के ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ और ‘राष्ट्रीय एकता मिशन’ से जुड़े होने की बात करते हुए उनका मुस्लिम होना ही रद्द कर दिया। चूँकि इन महिलाओं ने भाजपा का समर्थन किया था, इसलिए AltNews इन्हें मुस्लिम नहीं मानता?
इसी तरह लखनऊ में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा केक काट कर बकरीद मनाने की बात सामने आई। बता दें कि बकरीद पर कई लोग जीवहत्या न करने की बात करते हैं क्योंकि उस दिन लाखों जानवरों को काटा जाता है। यहाँ भी प्रोपेगेंडा पोर्टल ने दावा कर दिया कि मीडिया पोर्टल ऐसा दिखाना चाह रहे हैं कि लखनऊ में सारे मुस्लिमों ने ऐसा किया, जबकि सच्चाई ये नहीं है। कारण- इनमें से कुछ ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ से जुड़े थे।
So if Muslims are associated with the RSS, they cease to be Muslims? Must they be necessarily called RSS-Muslims or Sanghi-muslims?
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) September 21, 2020
Why no objection to farmers associated with CPI being called just farmers? Or to students associated with left parties being called just students? pic.twitter.com/ei9n0tcDFb
इन घटनाओं से पता चलता है कि फैक्ट-चेक के नाम पर ‘वो तो पहले से ही भाजपा समर्थक हैं’ और ‘उनका संगठन तो संघ से जुड़ा हुआ है’ लिख कर मुस्लिमों के मुस्लिम होने का सर्टिफिकेट रद्द किया जा सकता है- अगर उन्होंने पीएम मोदी का जन्मदिन मनाया हो, बकरीद पर शाकाहार को बढ़ावा दिया हो और राम मंदिर का समर्थन किया हो। ऐसा करने पर उन्हें मुस्लिम नहीं लिखा जाना चाहिए, ये AltNews के फैक्ट-चेक का सार है।
ज्ञात हो कि इस पोर्टल का संस्थापक ज़ुबैर खुद एक बच्ची की प्रताड़ना के मामले में आरोपित है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जानकारी दी थी कि ‘ऑल्टन्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। बाद में उसे कोर्ट से राहत मिली। इस मामले में ट्विटर को भी बाल आयोग ने नोटिस भेजा था।