NDTV पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने भाजपा से घृणा जाहिर करने के लिए 5 जनवरी 2021 को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने भाजपा शासित प्रदेशों में लाए गए नए कानूनों या फिर सत्ताधारी पार्टी द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर अपने तर्क दिए।
श्रीनिवासन जैन ने सरकारी दस्तावेजों से हलाल शब्द हटाए जाने के फैसले को सरकार की स्ट्राइक कहा और उत्तर प्रदेश में ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद) के ख़िलाफ़ बनाए गए कानून के लिए लिखा कि एक राज्य सरकार ने अंतरधार्मिक विवाह को आपराधिक घोषित करने के लिए कानून पास किया है। इसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश की ओर इशारा करते हुए उज्जैन में हुई हिंसा का सारा ठीकरा राम मंदिर डोनेशन यात्रा पर फोड़ा और कहा कि उसी से हिंसा भड़की, लेकिन सरकार ने पत्थरबाजों के ख़िलाफ़ कानून बना दिया।
श्रीनिवासन ने आगे मुन्नवर फारूकी का बचाव करते हुए उस एंगल को बिलकुल खारिज कर दिया कि उसने हिंदू देवी देवताओं के लिए अभद्र टिप्पणी की और ये दावा किया कि फारूकी इसलिए गिरफ्तार हुआ है क्योंकि उसने गृहमंत्री का मजाक उड़ा दिया था। आगे श्रीनिवासन ने कोरोना वैक्सीन पर उपजे विवाद पर ये गौर करवाया कि कैसे जो ‘बुद्धिजीवी’ इस वैक्सीन पर संदेह कर रहे हैं उन्हें सरकार राष्ट्र विरोधी घोषित कर रही है।
.. another state, where Ram Mandir donation yatras spark communal tension, passes punitive laws against those pelting stones at the yatras, a comedian is arrested ostensibly for mocking the Home Minister, skeptics of premature vaccine clearances are ‘anti national’ et al.
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) January 5, 2021
अब प्रश्न यह है कि एनडीटीवी पत्रकार श्रीनिवासन जैन ये गहन विश्लेषण किस आधार पर करने चले हैं। क्योंकि, भाजपा के पास तो नए कानूनों को बनाने के पीछे पर्याप्त घटनाएँ हैं जिनकी गंभीरता साबित करती है कि लव जिहाद के ख़िलाफ़ बना कानून या फिर मध्यप्रदेश में बनने जा रहा पत्थरबाजों के ख़िलाफ़ कानून कितना अनिवार्य है। मगर, शायद श्रीनिवासन जैन जैसों की आपत्ति देख कर लगता है कि उनके लिए हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और हिंदुओं की यात्रा पर पत्थरबाजी करना, संवैधानिक अधिकारों की श्रेणी में आता है।
इसी प्रकार मुनव्वर फारूकी के घटिया ह्यूमर के ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों की नाराजगी भी जैन के लिए मुद्दा इसलिए है क्योंकि हिंदू अपने देवी देवताओं के लिए आवाज उठा रहे हैं। वरना खुद अंदाजा लगाइए आखिर इस पूरे टॉपिक को गृहमंत्री से जोड़ने का क्या मतलब? हकीकत यही है कि फारूकी ने भगवान श्रीराम और माता सीता को लेकर अभद्र टिप्पणी की, इसलिए उसके ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों ने आवाज उठाई। न कि इसलिए क्योंकि उसने 2002 के दंगों में गृहमंत्री अमित शाह का नाम घुसा कर अपनी कुंठा को व्यक्त किया।
सोशल मीडिया से लेकर फारूकी के ख़िलाफ़ दर्ज हो रही शिकायतों तक में हर जगह उन्हीं वीडियो क्लिप की बात है जिसमें मुनव्वर ने कहा था, “मेरा पिया घर आया ओ राम जी। राम जी डोंट गिव अ फ़*** अबाउट पिया। यह सुन राम जी कहते हैं मैं खुद चौदह साल से घर नहीं गया। अगर सीता ने सुन लिया, वो तो शक करेगी। सीता को तो माधुरी पे पहले से ही शक है। वो गाना है तेरा करूँ गिन-गिन इंतजार। उसे लग रहा है वनवास गिन रही है 14 पर आकर रुक गई।”
इसी प्रकार भारतीय वैज्ञानिकों को नीचा दिखाने की कोशिश भी श्रीनिवासन अब उसे प्रीमेच्योर वैक्सीन बताकर कर रहे हैं। वैक्सीन पर संदेह से आखिर तात्पर्य क्या है? क्या वामपंथियों के लिए वैक्सीन पर शक करने का मतलब बस यही है कि उसे भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार किया है, तो वो उसपर शक करेंगे ही, जैसे उन्होंने ये मान रखा हो कि भाजपा शासन काल में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार वैक्सीन में गोबार ही होगा, इसलिए इस पर शक करना, इसका उपहास उड़ाना अनिवार्य है। क्या वे ये नहीं जानते कि वैक्सीन को अनुमति तब तक नहीं दी जाती जब तक सारे टेस्ट और प्रक्रिया पूरी न हो जाए?