पश्चिमी दिल्ली के नारायणा में शुक्रवार (अगस्त 28, 2020) को 32 साल के राहुल की मोबाइल चोरी के आरोप में पीट-पीट कर हत्या कर दी। आरोपितों के नाम हैं- मुश्ताक, शिराज, अनीश और इश्तिहार। लेकिन, कथित सेकुलर मीडिया इस घटना पर मौन है। एनडीटीवी ने इसे सामान्य घटना की तरह पेश किया है।
यह वही एनडीटीवी है जो तबरेज अंसारी की मौत पर चीख-चीखकर उसका मजहब बताते नहीं थक रहा था। तबरेज की भी चोरी के आरोप में भीड़ ने पिटाई कर दी थी। बाद में उसकी मौत हो गई। लेकिन, एनडीटीवी समेत तमाम सेकुलर मीडिया ने इसे संप्रदाय विशेष की मॉब लिंचिंग के तौर पर पेश किया था।
एनडीटीवी ने इससे संबंधित अपनी खबर की हेडलाइन में बताया था कि झारखंड में संप्रदाय विशेष के एक युवक की पीट-पीटकर भीड़ ने हत्या कर दी और ऐसा करने वालों ने उससे जय श्रीराम का नारा भी लगवाया। हेडलाइन में यह नहीं बताया कि यह घटना क्यों हुई। जोर इस बात पर था कि आप जानें कि संप्रदाय विशेष के एक इंसान को हिंदुओं ने मार डाला।
लेकिन, राहुल से जुड़ी खबर में एनडीटीवी यह बताया कि मोबाइल चोरी के आरोप में एक 23 साल की युवक पीटकर हत्या कर दी गई। चूॅंकि इस मामले में आरोपित एक खास मजहब के थे तो पीड़ित का धर्म गायब हो गया और चोरी का आरोप प्रमुख।
When theif Tabrej was beaten for bike robbery, NDTV didnt mention about robbery but mentioned religion in headline.
— Facts (@BefittingFacts) August 30, 2020
When Rahul lynched to death on suspicion of mobile theft, NDTV didnt even mention his name in headline. pic.twitter.com/o5RHR0zNw8
वैसे कथित सेकुलर मीडिया ने ऐसा कारनामा पहली बार नहीं किया है। पालघर में साधुओं की हत्या के समय भी चोरी के आरोप में तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या करके मीडिया में खबर चलाई गई थी।
यही कारण है कि संप्रदाय विशेष के किसी व्यक्ति की कथित मॉब लिंचिंग होने पर मोदी सरकार को कोसने वाला सेकुलर मीडिया राहुल की हत्या पर मौन है। उसे हिन्दू युवक का यह मॉब लिंचिंग दिखाई नहीं दे रहा है। अगर यह घटना संप्रदाय विशेष के किसी युवक के साथ हुई होती, तो सेकुलर गैंग टीवी चैनलों में बहस और सोशल मीडिया पर पोस्ट करते नजर आता। दिल्ली से लेकर बॉलीवुड तक सभी के हाथों में प्लेकार्ड और पोस्टर नजर आता। लेकिन आज सभी गायब हैं।
किसी भी व्यक्ति की हत्या मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख देती है, मरने वाला चाहे किसी भी धर्म, जाति या रंग का हो। लेकिन सेकुलर गैंग और बुद्धिजीवी व्यक्ति के धर्म, जाति और रंग को आधार बनाकर विरोध करते हैं। महज क्षुद्र राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण कुछ लोग मोदी सरकार के खिलाफ मॉब लिंचिंग के नाम पर झूठ फैलाने से बाज नहीं आते हैं। सेकुलर और टुकड़े-टुकड़े गैंग हमेशा पक्षपाती चिंता जाहिर कर अपना हित साधने की कोशिश करता है।
गौरतलब है कि राहुल को एक पेड़ से बाँधकर डंडों और लोहे के छड़ों से उसे बेहरहमी से मारा। जिससे उसकी मौत हो गई। चारो आरोपितों को घटना के तुरंत बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया।